क्या सन्तान उत्पन्न किये बिना भी मनुष्य पितृऋण से छूट सकता है?

हाँ, छूट सकता है। जाने कैसे ?

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Geeta Press book ''गृहस्थमें कैसे रहें ?'' से यह लेख पेश

3/26/20241 मिनट पढ़ें

प्रश्न - क्या सन्तान उत्पन्न किये बिना भी मनुष्य पितृऋणसे छूट सकता है?

उत्तर-हाँ, छूट सकता है। जो भगवान्‌ के सर्वथा शरण हो जाता है, उस पर कोई भी ऋण नहीं रहता -

देवर्षिभूताप्तनृणां पितॄणां न किङ्करो नायमृणी च राजन् । सर्वात्मना यः शरणं शरण्यं गतो मुकुन्दं परिहृत्य कर्तम् ॥

(श्रीमद्भा० ११।५।४१)

'राजन् ! जो सारे कार्योंको छोड़कर सम्पूर्णरूपसे शरणागतवत्सल भगवान्‌की शरणमें आ जाता है, वह देव, ऋषि, प्राणी, कुटुम्बीजन और पितृगण इनमेंसे किसीका भी ऋणी और सेवक (गुलाम) नहीं रहता।'

यह लेख गीता प्रेस की मशहूर पुस्तक "गृहस्थ कैसे रहे ?" से लिया गया है. पुस्तक में विचार स्वामी रामसुख जी के है. एक गृहस्थ के लिए यह पुस्तक बहुत मददगार है, गीता प्रेस की वेबसाइट से यह पुस्तक ली जा सकती है. अमेजन और फ्लिप्कार्ट ऑनलाइन साईट पर भी चेक कर सकते है.