विधवा स्त्री के साथ सास-ससुर, माता-पिता आदि का कैसा व्यवहार होना चाहिये ?

How should in-laws, parents-in-law, etc. behave with a widow?

SPRITUALITY

Geeta Press book ''गृहस्थमें कैसे रहें ?'' से यह लेख पेश

3/29/20241 मिनट पढ़ें

प्रश्न - विधवा स्त्री के साथ सास-ससुर, माता-पिता आदिका कैसा व्यवहार होना चाहिये

उत्तर-बहू अथवा बेटी विधवा हो जाय तो सास-ससुर, माता-पिता आदिको उसका हृदयसे आदर करना चाहिये और बाहरसे रक्षा एवं शासन करना चाहिये, जिससे वह बिगड़ न जाय। तात्पर्य है कि उसका हित चाहते हुए उसके साथ ऐसा बर्ताव करना चाहिये, जिससे वह दुःखी भी न हो और उसके आचरण भी न बिगड़ें।

बहू अथवा बेटीके विधवा होनेपर सास और माँको चाहिये कि वे अपना जीवन सादगीसे बितायें; गहने-कपड़े, भोजन आदिको भोगबुद्धिसे सेवन न करें, प्रत्युत निर्वाहमात्र करें। ऐसा करनेसे बहू और बेटीका सुधार होगा। कारण कि सास और माँ भोग भोगेंगी तो उसका असर बहू और बेटीपर अच्छा नहीं पड़ेगा। यदि सास और माँ संयम रखेंगी तो उसका असर बहू और बेटीपर भी अच्छा पड़ेगा, जिससे उनका जीवन सुधरेगा। सास और माँको यही विचार करना चाहिये कि अभी इस अवस्थामें हम संयम नहीं करेंगी तो फिर कब संयम करेंगी ? संसारमें संयमी और त्यागीकी ही महिमा है, भोगी और संग्रहीकी नहीं।

यह लेख गीता प्रेस की मशहूर पुस्तक "गृहस्थ कैसे रहे ?" से लिया गया है. पुस्तक में विचार स्वामी रामसुख जी के है. एक गृहस्थ के लिए यह पुस्तक बहुत मददगार है, गीता प्रेस की वेबसाइट से यह पुस्तक ली जा सकती है. अमेजन और फ्लिप्कार्ट ऑनलाइन साईट पर भी चेक कर सकते है.