मैं बीमार हूँ, मेरे बाद बच्चो का क्या होगा? महाराज जी बताए I am ill, what will happen to the children after me? Maharaj ji tell me.

महाराज जी का बहुत ही सुन्दर उत्तर Very nice answer of Pujya Maharaj ji

SPRITUALITY

Dheeraj Kanojia

8/20/20233 min read

माँ बाप अपने बच्चो के बारे में बहुत फिक्रमंद होते हैं. अगर माता पिता को दुर्भाग्यवश कोई बीमारी आदि दिक्कत होती है, तब यह चिंता दोगुनी हो जाती है. ऐसी ही एक माँ ने वृन्दावन के राधकेलि कुंज के पूज्य महाराज जी से सवाल किया.

महाराज जी मैं जब से बीमार पड़ी हूँ तब से मैं अपने बच्चो के भविष्य के बारे में सोचकर मुझे मृत्यु से बहुत भय लगता है.क्या मैं माँ का कर्त्तव्य पूरा कर पाउंगी या नहीं ? महाराज जी मेरा मार्गदर्शन करे.

महाराज जी कहते है, एक माँ के नाते व्यवहारिक रूप से तुम्हारी चिंता ठीक है, लेकिन यह चिंता आध्यात्मिक रूप से ठीक नहीं है.

अनंत महिमा वाला भगवान पूरी सृष्टि का पालन करता है, वह तुम्हारे बच्चे का भी पालन करेगा.

मैं बचपन में घर से निकला था. मेरी १३ साल की उम्र थी. मेरा आज तक वही पालन पोषण करता रहा. भगवान ने हमेशा मेरा दुलार किया है. कई बार मुझे परेशान करने के लिए कई उदंड व्यक्ति मिले. तो अंदर से भगवान ने ही प्रेरणा दी कि इसे सहो, ये तुम्हारे अहंकार का नाश करने के लिए मैंने ही इन्हें भेजा है. तब मैं कहता था, आपका भेजा हर विधान अमृत है.

अगर हम लोग सोचते है कि हम ही बच्चो का पालन पोषण करते है, तो यह बात व्यावहारिक तो ठीक है, लेकिन आध्यात्मिक दृष्टि से ये बात ठीक नहीं है, क्योंकि सबका भरण पोषण भगवान करता है.

महाराज जी सवाल करते है- क्या गर्भ में आप अपने बच्चे का पोषण कर रहे थे ? भगवान ही तो कर रहा था. गर्भ से जब शिशु बाहर आया तो शिशु के पोषण के लिए स्तनों में दुग्ध आ गया. शिशु अन्न नहीं पचा सकता, दुग्ध कितना गरम किता ठंडा, पहले से ही सब व्यवस्था है. शिशु दुग्ध पीकर हुष्ट पुष्ट होता है. बच्चे को पान करने किसने सिखाया है. भगवन ने ही तो सब व्यवस्था की है.

महाराज जी ने एक सुन्दर कथा सुनाई.

भक्तमाल में एक चरित्र है. ओझा जी एक ब्राह्मण थे. वह महाभागवत थे. उनकी पत्नी ने एक पुत्र को जन्म दिया. इसके बाद ओझा जी ने वैराग्य लेकर भगवान का भजन करने का निर्णेय लिया. उन्होंने अपनी पत्नी को कहा कि तुम यहाँ घर में रहकर जीवन व्यतीत करो, मुझे वैराग्य लेना है. पत्नी ने साथ जाने की जिद की. ओझा जी कहा, ठीक है चलो पर साथ में कुछ लेकर नहीं चलना. खाली हाथ चलना. दोनों जंगल की ओर निकल पड़े.

दोनों बीच जंगल में पहुंचे. ओझा जी ने महसूस किया कि पत्नी कुछ धीरे चल रही है. उन्होंने पीछे मुड़ कर देखा तो पत्नी के हाथ में शिशु देखा. उन्होंने कहा, हमने तुम्हे कहा था, खाली हाथ चलना है. पत्नी ने कहा, मैं नवजात शिशु को कहाँ छोड़ती, इसलिए मैं साथ ले आई. ओझा जी ने कहा, शिशु को यही छोड़ दो या फिर तुम वापस लौट जाओ. ओझा जी ने कहा, भगवान सबका पालन पोषण करते हैं. इसका भी पालन पोषण वही करेंगे. पत्नी पतिव्रता थी. उसने विवश होकर बच्चे को जंगल में छोड़ दिया.

दोनों ने १२ वर्ष तक भ्रमण किया. वह विभिन्न तीर्थस्थल गए. भगवान् का भजन किया. लेकिन पत्नी के मन में पुत्र को लेकर चिंता ख़त्म नहीं हुई थी. ओझा जी पत्नी की चिंता समझते थे.

ओझा जी पत्नी को लेकर फिर अपने ग्रह नगर गए. जहां वह रहते थे. वहाँ वह बैठ गए. उनकी बड़ी बाड़ी दाड़ी आ गई थी, इसलिए किसी ने उन्हें पहचाना नहीं. ओझा जी ने किसी व्यक्ति से पुछा, भैया सुना है यहाँ एक ओझा जी रहते थे. उनके बारे में कुछ पता है. व्यक्ति ने बताया कि ओझा जी और उनकी पत्नी ने वैराग्य ले लिया था. जब यह बात यहाँ के राजा को पता लगी. वह ओझा जी को बहुत मानते थे. उन्होंने ओझा जी को ढूंढ़ने के लिए जंगल में सैनिक भेजे.सैनिको को ओझा जी तो नहीं मिले. उनका शिशु मिला. राजा की कोई संतान नहीं थी. उन्होंने उसका पालन पोषण किया. वह अब राज्य का राजकुमार है. ओझा जी और उनकी पत्नी यह बात सुनने के बाद तुरंत वहाँ से चल दिए.

ओझा जी बोले , देखा तुमने. भगवान् सब का ख्याल रखते है. अगर हम खुद बच्चे का पालन पोषण करने का सोचते तो बच्चा गरीब किसान बनता. भगवान के भरोसे छोड़ दिया तो अब इस राज्य का राजा बनेगा.

महाराज जी कहते है, हमें लगता है कि हम बच्चो का पालन पोषण कर रहे है, तुम (उक्त माँ जिसने सवाल किया था) नहीं होगी तो भगवान् किसी अन्य को तुम्हारे बच्चे का पालन पोषण करने के लिए निमित्त बना देंगे.

हमारा बच्चो के बारे में सोचना ठीक है, लेकिन ये चिंता मोह के कारण है, भगवन विश्व के माता पिता है. त्वमेव माता च पिता त्वमेव। वे विश्व का पोषण कर रहे है. जंगल में कितने सुन्दर पक्षी. कितने हुष्ट पुष्ट जानवर रहते है. कोई उनकी दवा करने वाला नहीं है. श्री भगवान ही सबकी व्यवस्था कर रहे है.

हमें भजन परायण रहना है. बच्चो की जहाँ तक सेवा करो, जब तुम्हारी सेवा संपन्न हो जाए, तो आप अपने बच्चो को भगवान् के चरणों में समर्पित कर दो. भगवान उन्हें संभाल लेंगे.

Please wath the Video of Maharaji of their Official youtube channel https://youtu.be/C6Akk2wYyPc

Parents are very concerned about their children. If the parents unfortunately have some disease etc., then this worry doubles. One such mother questioned Pujya Maharaj ji of Radhakeli Kunj in Vrindavan.

Maharaj ji, ever since I have been ill, thinking about the future of my children, I feel very scared of death. Will I be able to fulfill my duty as a mother or not? Maharaj ji guide me.

Maharaj ji says, practically your concern as a mother is right, but this worry is not right spiritually.

The Lord of infinite glory takes care of the entire creation, He will take care of your child as well.

I ran away from home as a child. I was 13 years old. God has been taking care of me till today. God has always taken care of me. Many times I got many rude people to trouble me. So God inspired from inside to bear it, I have sent them to destroy your ego. Then I (Pujya Maharaj ji) used to say, every law sent by you (Shri Bhagwan) is nectar.

If we think that we are the ones who take care of the children, then it is okay from a practical point of view, but it is not right from the spiritual point of view, because God takes care of everyone.

Maharaj ji asks - Were you nurturing your child in the womb? God was doing it. When the baby came out from the womb, milk came in the breasts for the nutrition of the baby. The baby cannot digest food, no matter how hot or cold the milk is, everything is already arranged. The child becomes strong by drinking milk. Who has taught the child to drink. God has made all arrangements.

Maharaj ji told a beautiful story.

There is a character in Bhaktamal. Ojha ji was a Brahmin. He was Mahabhagwat. His wife gave birth to a son. After this, Ojha ji took the decision to worship God by taking quietness. He told his wife that you live here at home, I have to take quietness. The wife insisted to go with him. Ojha ji said, okay let's go but don't take anything with you. walking empty handed Both of them went towards the forest.

Both of them reached the middle of the forest. Ojha ji realized that the wife was walking slowly. When he looked back, he saw a baby in his wife's hand. He said, we had told you, you have to walk empty handed. The wife said, where would I leave the newborn baby, so I brought it along. Ojha ji said, leave the baby here or else you go back. Ojha ji said, God takes care of everyone. He will also take care of it. The wife was faithul to his husband. She was forced to leave the child in the forest.

Both traveled for 12 years. they went to various places of pilgrimage. Worshiped God. But the worry about the son did not end in the wife's mind. Ojha ji used to understand the concern of his wife.

Ojha ji then went to his home town with his wife. where he lived. There he sat down. His big beard had come, so no one recognized him. Ojha ji asked some person, brother, I have heard that one Ojha ji used to live here. Have you know something about them? The person told that Ojha ji and his wife had taken renunciation. When the king here came to know about this. He used to respect Ojha ji a lot. He sent soldiers to the forest to find Ojha ji. The soldiers could not find Ojha ji. His baby was found. The king had no children. He nurtured him. He is now the prince of the kingdom. Ojha ji and his wife immediately left from there after hearing this.

Ojha ji said, you have seen. God takes care of everyone. If we had thought of raising the child ourselves, the child would have become a poor farmer. If left on the trust of God, now he will become the king of this state.

Maharaj ji says, we feel that we are taking care of the children, if you (the said mother who asked the question) will not be there then God will make someone else to take care of your child.

It is okay to think about our children, but this concern is due to attachment, God is the parent of the world. Twamev Mata cha Pita Twamev. He is feeding the world. So many beautiful birds in the forest. How many strong animals live there. No one is going to do their medicine. Shri Bhagwan is making arrangements for everyone.

We have to remain reciting hymns. As long as you serve the children, when your service is over, surrender your children at the feet of God. God will take care of them.