अगर आपका भजन चल रहा है पर आपसे कुछ गलती हो जाती है, तो आपका नाश नहीं होगा, जानिये कैसे If your bhajan is going on but you make some mistake, you will not be destroyed, know how
listen beautiful story.
SPRITUALITY
महाराज जी ने बहुत सुन्दर ढंग से हमें यह बात बताई, पढ़े.
अगर हमारा भजन चल रहा है, हमसे कुछ गलतियाँ भी हुई हैं तो नाश नहीं होगा।
यह बात समझ लीजिये। अगर थोड़ा भी भजन है तो अब ऐसा नही होगा कि छिन्न भिन्न हो जाए।
मतलब न्याय करने में न्याय मिलेगा।
एक देश के राजकुमार थे. संत संग के प्रभाव से वैराग्य धारण करके घर से निकल पड़े और बचपन से भजन करते थे. जब यौवनावस्था में प्रवेश हुआ तो एक दिन किसी वृक्ष के नीचे पड़े हुए थे। तो अचानक वहाँ राजा की सवारी आई.
तो उन्होंने देखा राजा की राजसी सब सेवाएं, दासियां आदि । अब वो जंगल में अकेले पड़े देख रहे थे। तो उनको लगा की यार मतलब सुख तो है।
उन्हें वो विलासता सुख लगी.
मन खींचा सुख तो है।
अब वो विरक्त हो चुके थे और वापस लौट नहीं सकते। पर ये बात बैठी रही कि सुख तो है. इसको काट नहीं पाए। कुछ समय बाद शरीर पूरा हुआ.
वो भजन करते थे इसके प्रभाव से ऐसे घर में जनमें कि उनके बड़े भाई महाभागवत थे. वह निरंतर भगवत परायण रहते थे. पर छोटे भाई के रूप में इनकी बचपन से ऐसी वृत्ति थी जो बिल्कुल निकृष्ट पुरुष की होती है. '
'सुख तो है'' यह वृत्ति होने के कारण उनके संस्कार खराब हो गए थे, क्योंकि उनकी राजकुमार से मित्रता हो गई थी.
वही सब करना जो राजकुमार करते है। पर एक बात थी वो अपने भाई को भगवान मानते थे। क्योंकि बड़े भाई भजन करते थे और वो विरक्त होकर भ्रमण करते थे. बड़े बड़े भाई जब कभी आते तो छोटे भाई चरणों में साष्टांग प्रणाम करते और लज्जा से झुक जाते।
एक दिन बड़े भाई ने कहा
भाई जहाँ तुम जैसे तुम लगे हो न मेरी बात मान लो। दुर्गति पक्की है। क्योंकि तुम जो आचरण कर रहे हो, मैं सुनता हूँ. तो मैं जलता हूँ कि आप मेरे भाई है। एक ही माँ के उद्धर से निकले।
चलो हमारे साथ। आज द्वारिकाधीश के दर्शन करने चलो। छोटे भाई ने कहा, जो आज्ञा। वो अपने बड़े भाई को भगवान मानते थे। यह पूर्व भजन का प्रभाव था कि उनको संत का साथ मिला.
द्वारिका धीश के दर्शन करने गए।
बड़े भाई ने पद सुनाया प्रभु को
छोटे भाई अभी तक राजा के राज कुमार के साथ स्त्री के गीत गाते रहते।
पर एक पद रूप ठाकुर का गाया। तो द्वारिकादीश जी बोल पड़े. वाह वाह वाह।
सब लोग हैरान हो गए.
द्वारिकाधीश जी ने अपने निजी अंग से कहा कि, वो जो पीछे खड़े गा रहे हैं। उनको जाके प्रसाद, माला दे दो.
परिकरो ने प्रसादी माला दी तो छोटे भाई बोले हमें नहीं हमारे बड़े भाई को दे.
वह भजनानंदी है। महाराज मैं इनकी कृपा से यहाँ आया हूँ. मैं यहाँ आने लायक नही हूँ। मैं बहुत नीच हूँ।
यह देखकर बड़े भाई के हदय में जलन आ गई.
मैं बचपन से भजन कर रहा हूँ। पर प्रभु ने मुझे प्रसादी माला नहीं दिया और ये मेरा छोटा भाई हम जानते है कि ये सब गलत काम करता है। जो संसारी आदमी करते है और भगवान् ने इसको प्रसाद दिया।
अब मेरा जीना मुश्किल.
वह समुद्र में जाके कूद गए आतमहत्या करने के लिए.
समुद्र में कूदे तो भगवान् के पार्षदों ने उनका हाथ पकड़ लिया.
फिर उनको भगवान का साक्षात्कार हुआ. उनको भगवान मिले। भगवान ने कहा हमने आपको अपने पार्षदों से बुलाया। आओ बैठो यहाँ प्रसाद पाओ. वह जो बैठे। भगवान बोले 2 पत्तर लगाओ।
बड़े भाई बोले प्रभु और कौन पायेगा
भगवान बोले, तुम्हारा छोटा भाई
बड़े भाई बोले आप उसको इतना प्यार क्यों करते हैं, प्रधानता तो मेरी होनी चाहिए। मैं त्यागी, मैं भजनानंदी।
भगवान बोले तुम्हें पता है, तुम केवल इसी जन्म में भजन कर रहे हो, वो पूर्व जन्म का भजनानंदी है. उसको पूर्व जन्म में उसके मन में एक बात आ गयी थी कि विषयों में सुख है, ये दिखाने के लिए उसको राजा के साथ मित्रता करनी पड़ी, लेकिन वो मेरा परम भक्त है। यह सुनकर अब बड़े भाई को होश आया.
तो बात यह है कि अगर आपने पूर्व में सुकृत और भजन किया है पर थोड़ी बात से वे बिगड़ गया है. तो अब संत संग से बात फिर बन जाएगी।
भगवान तो कई जन्मों की बात जानते हैं।
हमको भगवान के प्रति विश्वास रखना चाहिए। अगर हमसे गलती भी हो जाए तो निराश नहीं होना। भगवान बड़े कृपालु है.
हम जो चरित्र सुनाते हैं, जो हम भगवत चर्चा करते है. इससे हमें पुष्टता मिलती है.
Maharaj ji told us this very beautifully. Read.
If our bhajan is going on, even if we have made some mistakes, we will not be destroyed.
Understand this. If there is even a little bhajan then it will not happen that it gets scattered.
Means justice will be done in doing justice.
There was the prince of a country. Due to the influence of the company of saints, he left the house wearing quietness and used to do bhajans since childhood. When he entered puberty, one day he was lying under a tree. Then suddenly the king's carriage arrived there.
So he saw all the royal services of the king, maids etc. Now he was lying alone in the forest watching. So they thought that luxury means happiness.
He found that luxury a pleasure.
There is happiness that attracts the mind.
Now he was disillusioned and could not return. But the thought remained that there is happiness. Couldn't cut it. After some time the body was completed.
He used to do bhajan, under its influence he was born in such a house that his elder brother was Mahabhagwat. He remained constantly devoted to God. But as a younger brother, since childhood he had such behavior which is that of a completely bad person. ,
Due to having this instinct of 'Happiness is there', his sanskars got spoiled because he had befriended the prince.
Do everything that princes do. But there was one thing: he considered his brother as God. Because the elder brother used to sing bhajans and he used to roam around disinterestedly. Whenever the elder brother used to come, the younger brother would prostrate at the feet and bow down in shame.
One day elder brother said
Brother, wherever you are, please listen to me. Destruction is certain. Because I listen to what you are doing. So I envy that you are my brother. Came from the same mother.
Come with us Let's go to visit Dwarkadhish today. The younger brother said, whatever the order. He used to consider his elder brother as God. It was due to the influence of the previous bhajan that he got the support of the saint.
Went to visit Dwarka Dhish.
Elder brother recited the verse to the Lord
The younger brother used to sing women's songs with the king's Rajkumar till now.
But sang a verse of Roop Thakur. So Dwarkadish ji spoke. wow wow wow.
Everyone was surprised.
Dwarkadhish ji said to his private men that those who are standing behind are singing. Go and give him Prasad, garland.
When Parikar gave Prasadi garland, the younger brother said, don't give it to us, but give it to our elder brother.
He is Bhajananandi. Maharaj, I have come here by his grace. I don't deserve to be here I am very mean
Seeing this, the heart of the elder brother got jealous.
I have been doing bhajan since childhood. But the Lord did not give me the Prasad rosary and this is my younger brother, we know that he does all the wrong things. Whatever worldly people do and God has given him Prasad.
Now it is difficult for me to live.
He jumped into the sea to commit suicide.
When he jumped into the sea, God's councilors held his hand.
Then he had an interview with God. He found God. God said we called you from our councillors. Come sit here and get prasad. The one who sits. God said, put 2 leaves.
Elder brother said, Lord, who else will get it?
God said, your younger brother
Elder brother said why do you love him so much, priority should be mine. I am Tyagi, I am Bhajananandi.
God said, you know, you are doing bhajan only in this birth, he is a bhajananandi of previous birth. In his previous birth, a thought had come to his mind that to show that there is happiness in things, he had to befriend the king, but he is my supreme devotee. Hearing this, the elder brother came to his senses.
So the thing is that if you have done Sukrit and Bhajan in the past, but because of a little thing, they got spoiled. So now the conversation with the Saint will be settled again.
God knows about many births.
We should have faith in God. Don't be disappointed even if you make a mistake. God is very kind.
The characters we narrate, the Gods we discuss. This gives us strength.