हर्ष को हम आनंद में परिणत ( रूपांतरित) कर लें Let us transform joy into bliss.
Holy words of Pujya Sant Radha Baba
SPRITUALITY
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हर्ष को हम आनंद में परिणत ( रूपांतरित) कर लें
जय श्री कृष्ण जय श्री राधा
(प्रस्तुत लेख हमारे परम पूज्य श्री राधाबबा (स्वामी चक्रधरजी महाराज) की विशेष सामग्री का संकलन है. ये लेख गीता प्रेस द्वारा प्रकाशित 'आस्तिकता की आधारशीला' पुस्तक से लिया गया है.)
अनुकूलता में हमें हर्ष होता ही है, पर यह हर्ष एक विकार है: आनंद में सर्वथा भिन्न वस्तु है यह. हर्ष को आनंद में परिणत कर ले, यही करना है. आनंद तो प्रभु का स्वरुप है, प्रतिबिम्ब है, जो मन- बुद्धि रुपी दर्पण पर प्रतिबिम्बित होता है और तब तक स्थाई रूप से बना ही रहता है, जब तक मन-बुद्धि का भी आत्यंतिक विलय प्रभु में नहीं हो जाता. किसी भी हर्ष को हम आनंद का रूप दे दें अथार्त ऐसी भावना दृढ कर ले कि वह हर्ष हमें कभी छोड़े ही नहीं. फिर यह विकार वरदान बन जाएगा और यह ही करना है.