जब एक महिला बोली-मासिक धर्म से पहले और कुछ दिनों बाद तीव्र काम का अनुभव होता है और गलत काम हो जाता है!

यह वीडियो महिलाओं के मासिक धर्म के दौरान आने वाले शारीरिक और मानसिक बदलावों को समझाते हुए ब्रह्मचर्य और संयम के महत्व को उजागर करता है। पूज्य प्रेमानंद महाराज का यह प्रवचन जीवन में आवेशों को नियंत्रित कर आध्यात्मिक मार्ग पर चलने की प्रेरणा देता है। यदि आप आध्यात्मिक जीवन में रुचि रखते हैं या संयम के महत्व को समझना चाहते हैं, तो यह वीडियो आपके लिए अत्यंत उपयोगी है।

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Param Pujya Vrindavan Rasik Sant Shri Hit Premanand Govind Sharan Ji Maharaj

5/24/20251 min read

परिचय

यह वीडियो पूज्य श्री हिट प्रेमानंद गोविंद शरण जी महाराज द्वारा दिया गया एक महत्वपूर्ण प्रवचन है, जिसमें उन्होंने मासिक धर्म के दौरान महिलाओं के शारीरिक और मानसिक परिवर्तनों, ब्रह्मचर्य के महत्व और जीवन में संयम के मार्ग पर गहन विचार प्रस्तुत किए हैं। यह प्रवचन विशेष रूप से उन लोगों के लिए प्रेरणादायक है जो आध्यात्मिक जीवन और शारीरिक संयम के बीच संतुलन बनाना चाहते हैं। वीडियो का स्थान वृंदावन के श्री हित राधा केली कुंज, वराह घाट पर है।

वीडियो का मुख्य विषय और सारांश

  • मासिक धर्म के दौरान शारीरिक और मानसिक परिवर्तन
    महाराज जी बताते हैं कि मासिक धर्म से पहले और बाद के कुछ दिनों में महिलाओं के शरीर में बदलाव आते हैं, जिससे कामुकता की अनुभूति होती है। यह स्वाभाविक है, लेकिन इस स्थिति में संयम और ब्रह्मचर्य का पालन आवश्यक है। जब पति नहीं होता, तब व्यभिचार की अनुमति शास्त्र नहीं देता, इसलिए राधा नाम का जप कर ब्रह्मचर्य की भावना को मजबूत करना चाहिए।

  • ब्राह्मचर्य और संयम का महत्व
    महाराज जी का कहना है कि जीवन में आवेश और वेग को नियंत्रित करना चाहिए। यदि विवाह नहीं करना है तो ब्रह्मचर्य का पालन करना चाहिए, नहीं तो विवाह के लिए सही पुरुष का चयन सोच-समझकर करना चाहिए। शरीर को केवल आजीवन संबंध के लिए समर्पित करना चाहिए, न कि अस्थायी या लिव-इन रिलेशनशिप जैसी आधुनिक प्रथाओं के लिए। यह सनातन धर्म के अनुसार पाप है और जीवन को नष्ट करता है। महाराज जी ने कहा कि हम पशु नहीं है कि काम का वेग आ गया और हम उसमें वह गए.

  • आध्यात्मिक अभ्यास और भजन का सहारा
    महाराज जी सलाह देते हैं कि जब संयम टूटने लगे तो श्री राधा का नाम जपें और भजन करें। इससे मन शांत होता है और वेग नियंत्रित होता है। भजन और नामस्मरण से व्यक्ति अपने आवेशों पर विजय पा सकता है और आध्यात्मिक उन्नति कर सकता है.

  • जीवन में संयम और पवित्रता बनाए रखना
    जीवन को व्यर्थ में बर्बाद न करें। संयम से चलें और आवेशों को सहन करें क्योंकि यही जीवन को महान बनाता है। गलत आचरण और असंयम से बचें, क्योंकि ये पाप के मार्ग पर ले जाते हैं। महाराज जी ने अपने जीवन के अनुभवों से बताया कि संयम और धैर्य से ही जीवन में सफलता और शांति मिलती है।

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वीडियो की विशेषताएँ

  • स्थान: श्री हिट राधा केली कुंज, वराह घाट, वृंदावन

  • संवाद भाषा: हिंदी

  • प्रकार: आध्यात्मिक प्रवचन, सत्संग

  • प्रमुख विषय: मासिक धर्म के दौरान संयम, ब्रह्मचर्य, आध्यात्मिक जीवन, पाप और पुण्य का ज्ञान

  • उद्देश्य: जीवन में संयम और भक्ति के माध्यम से आध्यात्मिक उन्नति करना

निष्कर्ष

यह वीडियो महिलाओं के मासिक धर्म के दौरान आने वाले शारीरिक और मानसिक बदलावों को समझाते हुए ब्रह्मचर्य और संयम के महत्व को उजागर करता है। पूज्य प्रेमानंद महाराज का यह प्रवचन जीवन में आवेशों को नियंत्रित कर आध्यात्मिक मार्ग पर चलने की प्रेरणा देता है। यदि आप आध्यात्मिक जीवन में रुचि रखते हैं या संयम के महत्व को समझना चाहते हैं, तो यह वीडियो आपके लिए अत्यंत उपयोगी है।

Sources:
1 Bhajan Marg - Premanand Ji Maharaj का मासिक धर्म और ब्रह्मचर्य पर प्रवचन - https://www.youtube.com/watch?v=FK3vrgKpB6w