प्रश्न- किसीने भूलसे, अनजानमें नसबन्दी आपरेशन करवा लिया तो अब वह क्या करे ?
Question: If someone gets a sterilization operation done by mistake, unknowingly, what should he do now?
महापाप से बचो AVOD THE BIGOTRY


प्रश्न- किसीने भूलसे, अनजानमें नसबन्दी आपरेशन करवा लिया तो अब वह क्या करे ?
उत्तर- डाक्टरोंका कहना है कि आपरेशनमें केवल नस ही काटी गयी हो तो वह पुनः जोड़ी जा सकती है; परंतु जिसका गर्भाशय ही निकाल दिया गया हो, उसका कोई इलाज नहीं है।
अतः केवल नसबन्दी ही की गयी हो तो उसको फिर ठीक करवा लेना चाहिये। ऐसा काम हुआ भी है और जिन्होंने ऐसा किया है, उनकी फिर सन्तान भी हुई है।
इस प्रकार नसबन्दी ठीक करवा ले, अपना पुरुषत्व और स्त्रीत्व ठीक कर ले और पहले किये हुए अपराधका पश्चात्ताप करे तो उसके हाथसे पितरोंको पिण्ड-पानी मिल सकता है। अगर ब्रह्मचर्यका पालन करे तो तेज बढ़ेगा, ओज-शक्ति बढ़ेगी, उत्साह बढ़ेगा।
यह लेख गीता प्रेस की मशहूर पुस्तक "गृहस्थ कैसे रहे ?" से लिया गया है. पुस्तक में विचार स्वामी रामसुखदास जी के है. एक गृहस्थ के लिए यह पुस्तक बहुत मददगार है, गीता प्रेस की वेबसाइट से यह पुस्तक ली जा सकती है. अमेजन और फ्लिप्कार्ट ऑनलाइन साईट पर भी चेक कर सकते है.
स्वामी रामसुखदास जी का जन्म वि.सं.१९६० (ई.स.१९०४) में राजस्थानके नागौर जिलेके छोटेसे गाँवमें हुआ था और उनकी माताजीने ४ वर्षकी अवस्थामें ही उनको सन्तोंकी शरणमें दे दिया था, आपने सदा परिव्राजक रूपमें सदा गाँव-गाँव, शहरोंमें भ्रमण करते हुए गीताजीका ज्ञान जन-जन तक पहुँचाया और साधु-समाजके लिए एक आदर्श स्थापित किया कि साधु-जीवन कैसे त्यागमय, अपरिग्रही, अनिकेत और जल-कमलवत् होना चाहिए और सदा एक-एक क्षणका सदुपयोग करके लोगोंको अपनेमें न लगाकर सदा भगवान्में लगाकर; कोई आश्रम, शिष्य न बनाकर और सदा अमानी रहकर, दूसरोकों मान देकर; द्रव्य-संग्रह, व्यक्तिपूजासे सदा कोसों दूर रहकर अपने चित्रकी कोई पूजा न करवाकर लोग भगवान्में लगें ऐसा आदर्श स्थापित कर गंगातट, स्वर्गाश्रम, हृषिकेशमें आषाढ़ कृष्ण द्वादशी वि.सं.२०६२ (दि. ३.७.२००५) ब्राह्ममुहूर्तमें भगवद्-धाम पधारें । सन्त कभी अपनेको शरीर मानते ही नहीं, शरीर सदा मृत्युमें रहता है और मैं सदा अमरत्वमें रहता हूँ‒यह उनका अनुभव होता है । वे सदा अपने कल्याणकारी प्रवचन द्वारा सदा हमारे साथ हैं । सन्तोंका जीवन उनके विचार ही होते हैं ।