खेती में अनेक जीवों की हिंसा होती है, तो क्या किसान खेती न करे ?
किसान के लिए खेती करने का विधान होने से उसको पाप कम लगता हैए अतः उसको पाप से डरकर अपने कर्त्तव्य का त्याग नहीं करना चाहिए।
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प्रश्न: खेती में अनेक जीवों की हिंसा होती है, तो क्या किसान खेती न करे ?
उत्तरः खेती जरूर करे पर ख्याल रखे कि हिंसा न हो। किसान के लिए खेती करने का विधान होने से उसको पाप कम लगता हैए अतः उसको पाप से डरकर अपने कर्त्तव्य का त्याग नहीं करना चाहिए। हां, जहां तक बनेए हिंसा न होए ऐसी सावधानी अवष्य रखनी चाहिए।
प्रश्न : आजकल किसान लोग फसल की सुरक्षा के लिए जहरीली दवाएं छिड़कते हैं तो क्या यह ठीक है ?
उत्तरः किसान को यह काम कभी नहीं करना चाहिए। पहले लोग ऐसी हिंसा नहीं करते थे तो अनाज सस्ता मिलता था। आजकल हिंसा करते हैं तो अनाज महंगा मिलता है। दिखने में तो ऐसा लगता है कि जीवों को मारने से अनाज अधिक होता है पर इसका परिणाम अच्छा नहीं होगा।
यह लेख गीता प्रेस की मशहूर पुस्तक "गृहस्थ कैसे रहे ?" से लिया गया है. पुस्तक में विचार स्वामी रामसुख जी के है. एक गृहस्थ के लिए यह पुस्तक बहुत मददगार है, गीता प्रेस की वेबसाइट से यह पुस्तक ली जा सकती है. अमेजन और फ्लिप्कार्ट ऑनलाइन साईट पर भी चेक कर सकते है.