आपका घर परिवार कब धन्य होगा

गृहस्थ में कैसे रहें ? भाग 2

SPRITUALITY

Dheeraj Kanojia

3/15/20241 मिनट पढ़ें

॥ ॐ श्रीपरमात्मने नमः ॥

आपका घर परिवार कब धन्य होगा

गृहस्थ में कैसे रहें ? भाग 2

रुद्रो मुण्डधरो भुजङ्गसहितो गौरी तु सद्भूषणा

स्कन्दः शम्भुसुतः षडाननयुतस्तुण्डी च लम्बोदरः ।

सिंहक्रेलिममूषकं च वृषभस्तेषां निजं वाहन-

मित्थं शम्भुगृहे विभिन्नमतिषु चौक्यं सदा वर्तते ।।

भगवान् शंकर मुण्डमाला एवं सर्प धारण किये हुए रहते हैं और पार्वती सुन्दर-सुन्दर आभूषण धारण किये हुए रहती हैं। शंकर के पुत्र कार्तिकेय छः मुखवाले तथा गणेश लम्बी सूँड़ और बड़े पेटवाले हैं। भगवान् शंकर आदि के अपने-अपने वाहन-बैल, सिंह, मोर और मूषक भी आपसमें एक-एक का भक्षण करनेवाले हैं। ऐसा होने पर भी भगवान् शंकर के विभिन्न (परस्परविरुद्ध) स्वभाववाले परिवारमें सदा एकता रहती है। इसी प्रकार गृहस्थ में विभिन्न स्वभाववालोंके साथ अपने अभिमान और सुखभोगका त्याग करके दूसरोंके हित और सुखका भाव रखते हुए आपसमें प्रेमपूर्वक एकता रहनी चाहिये।,

(१) गृहस्थ-धर्म

सानन्दं सदनं सुताश्च सुधियः कान्ता न दुर्भाषिणी

सन्मित्रं सुधनं स्वयोषिति रतिश्चाज्ञापराः सेवकाः ।

आतिथ्यं शिवपूजनं प्रतिदिनं मृष्टान्नपानं गृहे

साधोः सङ्गमुपासते हि सततं धन्यो गृहस्थाश्रमः ॥

घर में सब सुखी हैं, पुत्र बुद्धिमान् हैं, पत्नी मधुरभाषिणी है, अच्छे मित्र हैं, अपनी पत्नी का ही संग है, नौकर आज्ञापरायण हैं, प्रतिदिन अतिथि सत्कार एवं भगवान् शंकर का पूजन होता है, पवित्र एवं सुन्दर खान-पान है और नित्य ही सन्तोंका संग किया जाता है-ऐसा जो गृहस्थाश्रम है, वह धन्य है!