बुरे लोग सुखी और अच्छे लोग दुखी क्यों देखे जाते हैं ? महाराज जी ने बताया बड़ा रहस्य Why are bad people seen happy and good people sad? Maharaj ji told a big secret
आप इस रहस्य को सुनेंगे तो आपको दोबारा यह शिकायत नहीं रहेगी. if you listen to this secret, you will not have this complaint again.
SPRITUALITY
आपने भी कई बार देखा होगा कि हमारे ऑफिस आदि कार्य स्थल में कोई इतने ज्यादा गलत काम करता है, लेकिन उसका सब बढ़िया होता है, लेकिन जो अच्छा काम करता है, उसके साथ बुरा होता है.
पूज्य महराज जी के पास भी ऐसा ही एक सवाल आया तो उन्होंने इसका रहस्य बताया, आप इस रहस्य को सुनेंगे तो आपको दोबारा यह शिकायत नहीं रहेगी.
प्रश्न: श्रीमती रेखा जी
राधे राधे महाराज जी महाराज जी.
जो भगवान का नाम नहीं लेते फिर भी अच्छे से रहते है और जो भगवान का नाम लेते हैं परेशानी में रहते है, ऐसा क्यों ?
महाराज जी का जवाब
हाँ ऐसा देखा भी जाता है
क्या होता है कि जैसे कोई प्रभु का नाम नहीं कर रहा और बड़ा लौकिक पदार्थ से भरा पूरा देखा जाता है, तो उसमे हमारे भागवत विधान में एक सिस्टम है
जो भगवत मार्ग से विमुख आचरण पापाचरण अधर्माचरण करता है और आपको सुखी नजर आ रहा हो तो उसके बहुत थोड़े पुण्य है.
उसके उन पुण्य को भुगाने के लिए पहले हमारे भागवत संविधान में उसके पुण्य नष्ट किये जाएंगे. क्योंकि जब उसे दुःख मिलेगा तो पूण्य उसका सहयोग कर देगा इसलिए पहले उसके सहयोगी पुण्य का नाश किया जाता है.
उसका सहयोगी जो सुकृत (अच्छे काम के फल ) है, उसको दे दिया गया अब वो पापा चरण में और उन्मत हो गया। अब उसके सुकृत चल रहे है इसलिए उसे जुकाम भी नहीं होगा।
अब वो सोचता है की कुछ नहीं, कोई निर्णय नहीं। कोई भगवान नहीं है. मनमानी पापाचरण करो। खूब मौज से रहो.
और वो सुकृत उसके नष्ट हो रहे हैं और जिस दिन उसके सुकृत नष्ट हुए, फिर मिटियामेट होते हुए देखा है.
देखा है, शास्त्रों का विधान तो है ही। हमने खुद देखा है.
एक ठाकुर रामबली सिंह जमींदार थे.
हमने बच्चा पन में देखा, उनके आसपास बंदूक लेके चलते थे.
वो ऐसे थे जो अपने गर्व में रहते थे, किसी को कुछ नहीं मानते थे। एक गरीब ब्राह्मण था, जिसकी उन्होंने संपत्ति का अपहरण किया।
वो गया और हाथ जोड़ा कि लंबरदार
गाँव में ठाकुर जमींदार को ऐसे प्यार भाषा में बोलते है.
लंबरदार। आप तो राजा हो, ठाकुर हो, जमींदार हो. हम गरीब ब्राह्मण हैं. उतने से ही परिवार चलता था।
जमींदार ने गालिया बकी.
ब्राह्मण ने पैर छुआ और रो दिया और वापस आ गया।
जानते हो, आज जमींदार के कुल में कोई पानी देने वाला नहीं है।
कुछ ही दिनों में बड़ा लड़का भयंकर कैंसर से बीमार हुआ। मर गया। दुसरे का दिमाग खराब हो गया। तीसरे की टांग टूट गई। चौथा लेवरी करके उनको जो खवाने वाला था, पीलिया हो गई। जमींदार भी अफीम के इतने नशेबाज बन गए। धीरे धीरे सब बर्बाद हो गया.
जहाँ उनके आगे पीछे बंदूक, ले के चलते। तो मक्खी उड़ाने वाला कोई नहीं रहा और ये पशु की तरह मरे, जब कोई फेंकने वाला नहीं था । ऐसी स्थिति हो गई.
होता क्या है कि हमारे भागवत विधान में सिस्टम है। यदि आप अधिक पाप करेंगे तो आपके जल्दी से जल्दी शुभ कर्म आपको दिए जायेंगे कि वो नष्ट हो, तब तुम्हारा नाश शुरू होगा।
और जब आप भागवती कार्य करते हैं तो विधाता ने देख लिया है कि आप संभल रहे हो तो आपको कोई बाधा न पहुंचा सके। इसलिए आपके जो विभिन्न जन्म के पापकर्म है उनको आपके सामने भोगने के लिए फेंक दिया जाता है, ताकि आपके पापकर्म खाली हो.
जो उसके पापकर्म जमा है, उसको नष्ट करने के लिए भेजे जाते है, क्योंकि इस समय धर्म निष्ठा में है, ये पचा जाएगा।
तो उसके पाप कर्म आते है, वह धर्म में प्रबल हो कर के उन पाप कर्मों को भोगता है और धर्मात्मा बन के चलता है। जिस दिन उसके पाप नष्ट हुए तो वो सुकृत और यह वर्तमान के सुकृत मिल गए। उस दिन जय हो जाती है। उसकी कोई पराजय नहीं होती. त्रिभुवन में उसकी जय जय कार हो जाती है।
और उस पापात्मा का ऐसा नाश होता है, कोई पानी देने वाला नहीं मिलता।
ऐसा नहीं है कि पापी पुरुष मौज से है और धर्मात्मा कष्ट से है.
हम उसके रहस्य को नहीं जानते। इसलिए तुम्हें ऐसा लगता है.
Pujya Maharaj Ji Video link https://youtu.be/dAewv3894_o?si=h33Pzh0ar25S_1Ar
Why are bad people seen happy and good people sad? Maharaj ji told a big secret
You must have seen many times that in our offices etc., someone does so many wrong things, but everything is good for him, but bad things happen to the one who does good work.
When a similar question came to Pujya Maharaj ji, he told its secret, if you listen to this secret, you will not have this complaint again.
Question: Mrs. Rekha ji
Radhe Radhe Maharaj Ji Maharaj Ji.
Those who do not take the name of God still live well and those who take the name of God remain in trouble, why is this so?
Maharaj ji's answer
yes it looks like this.
What happens is that as someone is not chanting the name of GOD and is seen full of big worldly matter (luxurious), then there is a system in our Bhagwat Vidhaan.
The one who deviates from the path of God and commits sinful and unrighteous conduct and seems happy to you, then he has very little virtue.
To make him suffer for those virtues, his virtues will first be destroyed in our Bhagwat Constitution. Because when he gets hurt, the virtue will help him, so first his cooperative virtue is destroyed.
His ally whichis Sukrit (fruits of good deeds) was given to him, now he has become more mad in sinful behavior. Now he is doing well so he won't even have a cold.
Now he thinks nothing, no decision. there is no God. Do arbitrary sinful behavior. Have lots of fun.
And those good deeds of his are getting destroyed and the day his good deeds are destroyed, he has seen them getting destroyed again.
You see, there is a provision in the scriptures. We have seen it ourselves.
One Thakur Rambali Singh was a landlord.
We saw him as a child, carrying guns around him.
He was someone who lived in pride and did not consider anyone as anything. There was a poor Brahmin whose property he stole.
He went and folded his hands saying that the lumberdar
In the village, Thakur speaks to the lambardar in such loving language.
Lambardar. You are a king, a thakur, a landlord. We are poor Brahmins. The family survived on that alone.
The landlord abused.
The Brahmin touched the feet and cried and came back.
Do you know, today there is no one in the landlord's family to provide water.
Within a few days, the elder boy fell ill with severe cancer. died. The other one went crazy. The third one's leg was broken. Fourth one was doing labour work for livlihood, had jaundice. Landlords also became such opium addicts. Slowly everything got ruined.
Where they were carrying guns in front of them. So there was no one to kill the fly and they died like animals, when there was no one to throw it. Such a situation happened.
What if there is a system in our Bhagwat Vidhan. If you commit more sins then your good deeds will be given to you as soon as possible so that they get destroyed, then your destruction will begin.
And when you do Bhagwati's work, the Creator has seen that you are being careful so that no obstacle can come to you. Therefore, your sinful deeds of various births are thrown in front of you to suffer, so that your sinful deeds are emptied.
The sins accumulated by you are sent to destroy, because at this time religion is in loyalty, you will be digested.
So his sinful deeds come, he suffers those sinful deeds by becoming strong in religion and moves on as a religious soul. The day his sins were destroyed, he was blessed and he got the blessings of the present. There is victory that day. He has no defeat. He gets hailed in Tribhuvan.
And that sinner is destroyed in such a way that no one is found to provide him water.
It is not that a sinful man is in pleasure and a righteous man is in pain.
We don't know his secret. That's why you think so.