अध्यात्म को अपनाकर हो जाते है खर्चे कम, कमाई हो जाती है ज्यादा

By adopting spirituality, expenses get reduced and income increases

SPRITUALITY

Dheeraj Kanojia

10/13/20241 min read

अध्यात्म को अपनाकर हो जाते है खर्चे कम, कमाई हो जाती है ज्यादा

जीवन में अध्यात्म भगवान् का नाम जप, सत्संग, भजन कीर्तन और भक्तों के चरित्र को सुनने और मनन करने से आता है. शास्त्र स्वाध्याय भी बहुत जरूरी है. यह सब बातें गुरु द्वारा ही साधक को समझ में आती है. गुरु के बिना भक्त अंधरे में ही हाथ पाँव चलता है.

अध्यात्म को अपनाने से लाखो बड़े फायदे हैं. संत जन इन फायदों को बताते आए हैं. लेकिन कलयुग में क्योंकि पैसे का वर्चस्व ज्यादा है. सब कुछ पैसे के लिए हो रहा है, तो आपको पता होना चाहिए कि अध्यात्म को अपनाते ही आप गृहस्थ जीवन में बहुत बढ़िया से रहकर अपने खर्चे कम कर सकते हो.

कहीं आप यह तो नहीं सोच रहे कि अध्यात्म को अपनाना यानि संन्यास या साधू संत बनने के बाद तो खर्चे खुद ही कम हो जाएंगे. दरअसल अध्यात्म को सन्यास लेना या साधू बनना बिलकुल नहीं समझा जाए. बहुत बड़े बड़े गृहस्थ, बिजनेसमैन और प्रोफेशनल भी भगवान् के महान भक्त बने हैं.

अध्यात्म की समझ आते ही आपके खुद के रोजाना के खर्च कम हो जायेंगे. आपके परिवार के बाकी सदस्य भी अगर अध्यात्म को समझते हुए इसपर अमल करते है. तो उनके भी खर्चे कम हो जायेंगे.

कैसे खर्चे होंगे कम

अध्यात्म को जानने और समझने की भूख जैसे ही आपको लगने लगेगी, आप संतो के संग आओंगे (उनके वीडियो देखोंगे ), उनके अनुसार शास्त्र स्वाध्याय करोंगे, bhajan भजन और bhakti भक्ति करोंगे और संतों की बातों पर अमल करोंगे तो आपको महसूस करोंगे कि आपके खुद के खर्चे कम हो रहे हैं. मैंने यह बात खुद महसूस की है.

पवित्र कपड़े

अध्यात्म को समझते ही आप किसी भी परिस्थिति में रहना सीख जाते हो. उदहारण के लिए अध्यात्म सिखाता है कि हम को खुद को पवित्र और साफ़ सुथरा रखना है. अन्दर से भी और बाहर से भी. अन्दर से मन को साफ़ रखना है, किसी के बारे में भी गलत नहीं सोचना है और ना ही किसी से जलना या नफरत करनी है. बाहर से अपने कपडे साफ़ रखने है, रोज स्नान करना है, दिने में 2 बार हो सके तो और भी अच्छा. कपड़े नए हो या पुराने इससे आपको कोई फर्क नहीं पड़ेगा, बस वे साफ़ और पवित्र होने चाहिए. क्योंकि भगवान् के नाम के बल से आपको दिखावे कि कोई जरुरत नहीं रहेगी, क्योंकि अन्दर से यानि हृदय से आप निर्मल होने लगोंगे, और आप कपड़ो पर फिजूल खर्चे करने से बचोगे. अध्यात्म से आपको विवेक मिलेगा. आप जो जरुरी और सही होगा आप वो ही करेंगे.

पवित्र भोजन

अध्यात्म पवित्र भोजन पर भी बहुत जोर देता है. दरअसल आपको तन मन धन से पवित्रता की बात अध्यात्म को समझने के बाद ही आएगी. इसके बिना आपको यह बाते महज एक भाषण लगेगा, क्योंकि बुद्धि तो भोगो में लगी होती है. भगवान् की bhakti भक्ति हृदय में पैदा होने से आपको समझ आएगा कि अध्यात्म सादे और घर के बने भोजन खाने की बात करता है. क्योंकि होटल और रेस्तरां में पवित्र भोजन की कोई गारंटी नहीं होती. आप धीरे धीरे घर के खाने पर जोर देने लगोंगे. इससे आप का खुद का बाहरखाने का खर्च कम होगा. होटल और रेस्तरा में खाना बहुत महंगा होता है. एक मिडिल क्लास के लिए होटल और रेस्तरा में खाना एक बड़ा खर्च होता है.

जो भी खाओ भगवान् को अर्पित करके खाओ

भगवान् की भक्ति सिखाती है कि आप जो भी खाओ भगवान् को अर्पित करके खाओ. इसलिए घर में बने भोजन को भगवान् को अर्पित करके ही खाया जाता है. भगवान् को अर्पित भोजन में प्याज और लहसुन नहीं डलता. ये दोनों तमोगुणी प्रकृति के होते हैं. इससे आप की bhakti भक्ति में बाधा पड़ती है. साथ ही खाने में तीखे मसाले और बहुत ज्यादा मिर्ची नही होती. ऐसे में आपका यह सब खर्च बचता है. साधा भोजन और सरल तरीके से बनाया गया भोजन सेहत के लिए भी बढ़िया है. अभी तो देखने में आया है कि वर्त के समय में ज्यादा पैसे खर्चे होने लगे है. लोग वर्त में कुट्टू के आटे की रोटी और सिंघाड़े का हलवा समेत तमाम तरह के वर्त के कहे जाने वाले पैकेट बंद नमकीन और वर्त की थाली मार्किट से खरीद कर खाते हैं. उससे वर्त में ज्यादा पैसे खर्च होते है. संत जन यह सब करने से मना करते है. वे भगवान् को अपना चित देने और bhajan कीर्तन करने को वर्त कहते है. संत जन वर्त में थोड़ा जल और कुछ फल दिनभर में लेने के लिए कहते है. इसमें कुछ ज्यादा खर्च नहीं होता. इसके अलावा अध्यात्म मांसाहार करने को महापाप कहता है. अध्यात्म को अपनाने वाले मांसाहार छोड़ देते हैं. इससे आप अधर्म करने और एक बड़े खर्च से बच जाते हैं.

अध्यात्म ज्यादा पैसे कमाने से मना नहीं करता

अध्यात्म कभी यह नहीं कहता कि ज्यादा धन कमाना पाप है. वे अधर्म से कमाए हुए धन को पाप कहता है. संत जन कहते है कि आप गृहस्थ हैं तो आप अपने परिवार और समाज को सुख देने के लिए अधिक पुरुषार्थ करके अधिक धन कमा सकते है. लेकिन साथ ही आप धन के प्रति आसक्त ना हो, आपकी आसक्ति यानि बुद्धि भगवान् से अलग नहीं होनी चाहिए. धर्म कहता है कि आपको दान के रुप में रुपया सिर्फ ऐसे व्यक्ति को देना है, जो उसका पात्र हो, यानि अगर आपके दिए हुए दान के रूप में रूपये पैसे का दान लेने वाला दुरूपयोग करता है. उसका नशा या किसी गलत काम में इस्तेमाल करता है, तो पाप के भागीदार भी आप होंगे. अध्यात्म के जरिये यह समझ आपके पैसे के दुरूपयोग को बचाएगी.

अध्यात्म से अच्छी सेहत

संत जन सुबह ब्रहम मुहूर्त (सुबह 4 बजे) उठने के लिए कहते हैं. सुबह 4 बजे उठकर योगासन, व्यायाम, प्रणायाम आदि करने को कहता है. अगर आप अध्यात्म को समझते हुए अनुशासन में रहकर नियम से योगासन, व्यायाम, प्रणायाम करते हैं तो आप निरोगी रहोंगे. आपको दवाइयों की जरुरत नहीं पड़ेगी. इससे भी आपका बहुत बड़ा खर्च बचेगा.

ब्रहमचर्य रामबाण

ब्रहमचर्य का पालन करने से आपका शरीर मजबूत बनेगा. आप बीमार नहीं रहेंगे. आपकी याददाश्त बढेंगी. आप अपने व्यापार, नौकरी, पढ़ाई आदि में बेहतर करेंगे. यह आपके धन कमाने में सहायक होगा.

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