क्या धन की चाह, लोभ, और लालच से नाम जप कर सकता हूँ?

Can I chant the Name with desire, greed, and covetousness for wealth?

SPRITUALITY

Shri Hit Premanand Govind Sharan Ji Maharaj

11/14/20241 min read

क्या धन की चाह, लोभ, और लालच से नाम जप कर सकता हूँ?

बहुत बढ़िया है, इसी से मंगल हो जाएगा. हम तुम्हे बताये हमने धन की इच्छा नहीं की थी. रोटी मांगे नहीं मिलती थी. अब देखो ऐसी व्यस्वस्था है, तुम्हे क्या बताये. आज भगवान् की कृपा है.

साधू का जीवन अगर सच्चाई से जीना चाहे ना, तो बहुत कठिन जीवन है, भगवान् का खेल है. वे चक्र बदलते रहते हैं.

तो आप चिंता ना करो, ऐसे धनी बन जाओगे कि धन की इच्छा ही नहीं रह जायेगी. दो धनी होते हैं, एक होते है रुपए के धनी और एक संतोष धनी.

जब आयो संतोष धन सब धन धुरी सवाल

तो भगवान् के नाम में तुम्हे इतनी सामर्थ्य मिल जायेगी और फिर धन की बात है, तो देखो सुदामा जी भीख मांगते थे. कई कई दिन नहीं मिलता था और जब कृष्ण की नजर घूमी तो जैसे कृष्ण की द्वारिका पूरी, वैसी सुदामा जी की सुदामा पूरी.

विश्वास करो वो लक्ष्मीपति है, वे नजर कर दे तो कैसे कैसे ऐश्वर्य मिल जाए.

तो भगवान् के भरोसे रहो, नाम जप करो और धन के लिए ही सही, भय निवृति के लिए ही सही. दुःख संकट निर्वती के लिए ही सही.

हरी स्मृति सर्व विपद विमुक्षणम

सिर्फ धन ही नहीं, धन देने वाला भी मिल जाएगा

सब मंगल हो जाएगा,, केवल धन अकेले नहीं मिलेगा, धनी भी मिल जाएगा. प्रभु भी मिल जाएंगे, नाम में बड़ी सामर्थ्य है.

नाम लेते भले तुम विशवास ना करो. जहर पर विशवास करके खाओंगे, तभी काम करेगा क्या. जैसे अग्नि में दाहिका शक्ति है, प्यार से छुओ तो जलोंगे. जबरदस्ती छुआ दे तो जलोंगे. भूल से छुआ दो, तो जलोंगे.

ऐसे ही नाम में एक शक्ति है तारण. तारण शक्ति.

जीव को समस्त दुखो से हटाकर सच्चिदानंद सुख में ले जाना. इसलिए गोस्वामी जी (तुलसीदास जी) लिखते हैं- भाव कुभाव अनख आलस हूँ, नाम जपत मंगल दिस दस हूँ.

चिंता ना करो, अगर नाम तुम्हारी जिव्हा पर चाहे जिस भाव से है तो , तुम्हारा मंगल हो जाएगा. नाम यह भाव नहीं देखता.

नाम जाप में मन नहीं लगता, कैसे मन लगे?

हाँ यह ख़ास बात है कि लोगो का नाम जप में मन नहीं लगता, अब संसार में लगा हुआ मन तो भगवान् में लगाने में कठिन लगता है.

और लगा ले गया तो जीत गया, यह ही तो बात है ना. राधा राधा बोलते रहो अपने आप लग जाएगा.

एक बात समझना है, साधक और सिद्ध इनमें अंतर हैं. सिद्ध का स्वाभाविक भजन bhajan होता है, क्योंकि उसने बहुत अभ्यास किया है. लेकिन आप लोगों (आम लोग, गृहस्थ ) को भजन bhajan होगा नहीं. bhajan करना पड़ेगा.

हमें पहले धीरे धीरे जुबान से चलना पड़ेगा.

नाम जिव्ह जप जागे जोगी.

अब घंटो हम प्रपंच की बात कर लेंगे. लेकिन एक घंटा बैठ कर राम राम हरी हरी कृष्ण कृष्ण राधा राधा नहीं रटेंगे.

हम साधक है, हमें bhajan करना पड़ेगा. मन लगे ना लगे. हमें जुबान से बोलेंगे. तो एक दिन मन लग जाएगा.

करत करत अभ्यास के जड़ मत होत सुजान,

रस्सी आवत जावत सिल पर होत निशान

जब एक पत्थर में चिन्ह बन जाता है रस्सी का, तो हम बार बार मन में राधा नाम लेंगे तो मन में राधा नाम अंकित नहीं हो जाएगा. विश्वास करो, पक्का हो जाएगा. लोभ लालच में भी नाम जप कर सकते हो. सबको ऐसा करना चाहिए.

लोभ लालच के लिए नाम जाप करो, कोई दिक्कत नहीं

संसार के दुखो से बचने के लिए, संसार की सुविधाओं को प्राप्त करने के लिए, इसी भावना से नाम जाप में लगो. नाम जाप तुम्हारे लोक और परलोक की दोनों बातें सुधार देंगा. जो हम भगवान् से संसार के भोग मांगते है, तो भगवान् जब उनको देते है, तो ऐसे देते हैं जैसे वैध शोध करके जेहर दे, है तो जेहर लेकिन वैध ने शोध किया है, तो नुक्सान नहीं करेगा. वो रोग का नाश करेगा. भगवान् की तरफ से हमें जो भोग मिलते है, तो वो भोग हमको फंसा नहीं पाते है और हमारा bhajan और बढ़ता जाता है. जैसे आपने कोई कामना की और वो कामना पूर्ति हो गई तो आपका विशवास और दृढ हुआ ना. फिर आपका और bhajan बढेगा. तो इसी लोभ से हम भगवत प्राप्ति तक पहुँच जाएंगे. पहले शुरुआत करे.

दुःख पाप नष्ट करेगा नाम

एक राधा नाम की कीमत पूरा त्रिभुवन नहीं है. तो अगर भगवान् हमें कुछ दे देते है, तो वो क्या नाम नाम की कीमत दे दी क्या, नाम तो हमारा पूरा जमा है, हमने उसको बेच थोड़े दिया है. नाम का वो ब्याज है. ये जो कमाना की पूर्ती होगी, ये ब्याज के रूप में होगी. क्योंकि ये माया है. और वो सच्चिदानंद नाम है, वो तो मूल जमा ही है, वो अनंत जन्मो तक तुम्हारे को सुरक्षित रखेगा. एक नाम ले लिया है तो वो तुम्हे बचाएगा. संकट से बचाएगा, विपत्ति से बचाएगा, तुम्हे सच्ची कह रहे है. नाम में अपार सामर्थ्य है, तुम किसी भी बहाने से लो, लोभ लालच जैसे लो, पाप नष्ट करने के लिए, दुःख नष्ट करने के लिए. नाम शुरू कर दो तुम्हारा मंगल हो जाएगा.

नाम जपने से भी मनोकामना पूरी नहीं तो क्या करे

यदि आप नाम जप लम्बे समय से कर रहे और इमानदारी से कर रहे हो, लेकिन आपकी मनोकामना पूरी नहीं हुई तो भगवान् आपके अन्दर इतना आनंद भेज देंगे कि जिस कामना को आप कर रहे हो तो आपको लगेगा, अपने आप ध्यान आ जाएगा कि भगवान् कोई मंगल ही विधान कर रहे है, इसलिए पूरा नहीं हुआ, हम आपको सच्ची कहते है, फ़ोन करने में तो देर है, क्योंकि वो कब उठाएगा, उससे पहले ही बात सुन लेते है.

अगर इमानदारी से नाम जाप कर रहे और भगवान् से अपनापन है, तो हमने हजारों बार यह देखा है, तुमको विश्वास के लिए कह रहा हूँ. कई बार ऐसा हुआ है कि अगर सेकंड में चूक हो जाती तो प्राण निकल जाते. भगवान् ने सेकंड से भी कम में रक्षा की है, क्योंकि वो सेकंड से ज्यादा तीव्र गति रखने वाले है. कई बार हमने देखा है.

नाम हमारे प्रारब्ध से युद्ध करेगा

तो भगवान् पर दृढ विशवास रखो. ये जरूर है कि जैसे हमारी कामना है, तो हमारा पूर्व का प्रारब्ध है, अब वो प्राब्ध जो पाप हमारे सामने आकर हमें दुःख में डुबोना चाहता है, तो नाम पहले उधर युद्ध करेगा. इतना नाम हमारे पास हो जाए कि वो प्रारब्ध भस्म हो जाए और नाम नवीन प्रारब्ध की रचना करे, तब आगे सुख प्राप्त होगा, इसलिए दृढ विश्वास रखो, भगवान् सबकी मनोकामना को जानते है, लेकिन देखो पूर्ण उसी की होगी जो उतना ताप करेगा उतना bhajan करेगा. अब पाप करो और मंदिर में जाकर कहो कि भगवान् हमारा काम कर दो, कभी नहीं सुनेंगे. तुम भगवान् की सुन रहे हो.

तुम्हे किसी के आगे हाथ नहीं बढ़ाना पड़ेगा

अच्छे से चलो, तुम्हे मानव जीवन दिया है. तुम दुसरो को सुख पहुचाने की भावना करो, और भगवान् का नाम जाप करो और देखो कि कामनाओं की पूर्ती होती है की नहीं. तुम देख लेना. वह तुम्हारे द्वारा ही ऐसा करेगा कि तुम्हे किसी के आगे हाथ नहीं बढ़ाना पड़ेगा, पहले ही व्यवस्था हो जाएगी. खूब नाम जप करो, चिंता मत करो.

प्रारब्ध काटा जा सकता है. किसी के भाग्य में भगवत प्राप्ति नहीं लिखी. हम नए भाग्य की रचना करते हैं, भगवत प्राप्ति की, मोक्ष की, करते है ना. तो प्रारब्ध कटा ना, अगर प्रारब्ध कटा ना होता, तो हमारा अगला जन्म होता न, इस जन्म में इतना bhajan किया कि पूर्व प्रारब्ध को नष्ट कर दिया, संचित को भस्म कर दिया. क्रिय मान को निश्प्राभाव कर दिया, तभी तो भगवत प्राप्ति होती है, अगर bhajan नहीं करेंगे तो पशुवत जीवन रहेगा और bhajan करेंगे तो प्रारब्ध से लड़के मिटायेंगे. भगवन प्राप्ति करेंगे, नया प्रारब्ध बनायेंगे. तभी तो भगवत प्राप्ति होती है, यह नया प्रारब्ध बनता है bhajan से.

महाराज जी का यह वीडयो

https://youtu.be/cplsIgIq7do?si=uFmzbuS7GE8Iyy5O