बच्चे पेरेंट्स से कर रहे हैं डिजिटल फ्रॉड,कहीं आपके बच्चे तो यह नहीं कर रहे, आर्टिकल को पढ़ के चेक करे
Children are doing digital fraud with parents, Read this article to check if your children are doing this.
SPRITUALITY


जैसे बड़े खेलते हैं ग्रुप में जुआ, वैसे बच्चे दोस्तों के साथ मिलकर खेलते हैं ऑनलाइन गेम
हर माँ बाप के लिए मोबाइल फ़ोन की दुनिया में बच्चे पालना बहुत मुश्किल हो गया है. बच्चे मोबाइल फ़ोन पर ऑनलाइन ग्रुप बनाकर खेलते हैं. वह अपने आस पड़ोस, स्कूल और रिश्तेदारों के बच्चों दस साथ ऑनलाइन कनेक्ट होकर गेम खेलते है. गेमिंग एप कम्पनीज उनको यह फैसिलिटी देती है. जैसे बड़े लोग ग्रुप बनाकर जुआ खेलते है. वैसे ही बच्चों को भी ऐसी आदत डाली जा रही है.
गेमिंग एप बच्चो से पैसे खर्च करवाने की फेंकती हैं चालें
बच्चों को एकदूसरे से आगे निकलने की होड़ होती है. इसका फायदा गेमिंग एप कंपनीज बहुत चालाकी से उठाती है. मोबाइल गेम कम्पनीज भोले भाले बच्चों से पैसे खर्च करवाने की तरह तरह की चाल फेंकती है. बच्चो को गेम्स में दूसरी बच्चे से आगे निकलने के लिए तरह तरह टूल्स बेचती है. जो बच्चा ज्यादा टूल्स और फीचर्स खरीदता है. वो दुसरे बच्चो से मजबूत हो जाता है. ऐसे में दुसरे बच्चों में ऐसे टूल्स और फीचर्स खरीदने की होड़ हो जाती है.
एप से फीचर्स खरीदने को बच्चे पेरेंट्स से कर रहे हैं डिजिटल फ्रॉड
फ्री फायर जैसे विडियो गेम्स ऐसे फीचर्स बच्चो को खरीदने के लिए कहते हैं. ये फीचर्स 100 200 रुपए से शुरू होकर हजारों में जाते हैं. एक ऑनलाइन रिसर्च के जरिये सामने आया है कि कुछ बच्चों के पेरेंट्स तो एक लिमिट तक उनके लिए यह फीचर्स खरीदते हैं. लेकिन जो पेरेंट्स बच्चों को मना कर देते हैं. वो इसे पाने के लिए अपने माता पिता के यूपीआइ पिन और पासवर्ड चोरी भी करते हैं. इसलिए पेरेंट्स को सावधानी बरतने की जरुरत है.
कम ऑनलाइन एक्सपर्ट और ध्यान न देने वाले पेरेंट्स ज्यादा फंसते हैं
ऐसी कई मीडिया रिपोर्ट्स सामने आई है जहाँ बच्चों ने अपने माँ बाप के पूरे बैंक अकाउंट ही खाली कर दिए. ऐसे उन माँ बाप के साथ हुआ जो ऑनलाइन पेमेंट्स तो करते है, लेकिन पूरी तरह से ऑनलाइन पमेंट्स की जानकारी नहीं है. वो नेट बैंकिंग के जरिये या अपनी बैंक स्टेटमेंट चेक नहीं करते या उन्हें ऐसा करना आता नहीं. जबकि बच्चे बहुत चालक हो जाते है वो बैंक अकाउंट से पैसा कटने के आने वाले एसएमएस को डिलीट कर देते हैं ताकि माँ बाप देख नहीं पाए.
अब क्या हैं उपाय
बच्चो को मोबाइल फोन से दूर करने के कई कंप्यूटर और साइबर एक्सपर्ट्स बात करते हैं. आप इसके लिए नेट पर सर्च कर सकते हैं. लेकिन वो कितने कारगर होते हैं, ये तो इन उपायों को अपनाने वाले ही जानते होंगे. यहाँ हम आपको आध्यत्मिक उपाय पर बात करेंगे. कुछ उपाय देश के महान संत परम पूज्य प्रेमानंद महाराज जी द्वारा अपने एकान्तिक वार्तालाप सेशन में बताये गए हैं. बाकी मैं अपना अनुभव साझा करता हूँ.
सबसे पहले यह करे
महाराज जी कहते हैं कि बच्चों को स्मार्ट फोन बिलकुल ना दें. छोटा बेसिक नॉन स्मार्ट फोन ही दें. जिससे वो जरुरत पड़ने पर अपने माता पिता आदि परिजन से बात कर सके.
मेरा खुद का अनुभव है कि छोटे या किशोर टीनेजर्स बच्चो को स्मार्ट फोन या लैपटॉप बिलकुल ना दें. दरअसल हमें आज के समय में यह बहुत कठिन लगता है. लेकिन अगर कोशिश की जाए तो ऐसा हो सकता है, बच्चो को थोडा सा अपना डर दिखाकर किया जा सकता है. ज्यादा सख्ती और पिटाई बिलकुल नहीं करनी चाहिए. पिटाई से बच्चा थोड़ी देर ठीक रहता है, उसके बाद ढीठ हो जाता है. बच्चों को यह कहा जा सकता है, बेटा हम तुमको अच्छा इंसान बनाने की पूरी कोशिश अपनी अंतिम सांस तक करेंगे. अब तुम्हे तय करना है कि तुम्हे अच्छा बनना है या बुरा. तुम्हे सख्ती चाहिए या फिर प्यार. अच्छे कामे करोंगे तो प्यार मिलेगा बुरे काम करोंगे तो गुस्सा मिलेगा.
बच्चो के स्कूल के असाइनमेंट जो ऑनलाइन आते हैं, पेरेंट्स कोशिश करे कि उसका प्रिंट आउट बच्चों को उपलब्ध कराये. अगर आप उनको मोबाइल या लैपटॉप पर देखने को कहेंगे, तो वो चुपके से गेम्स और गन्दी चीजे देख सकते है. बच्चे ऑनलाइन पढ़ाई का बहाना बनाकर विडियो गेम्स खेलते हैं. बच्चों की जिद के आगे माँ बाप बेबस हो गए हैं.
दूसरा यह करे
महाराज जी कहते हैं गंदे बच्चों से दूर रहे. जो बच्चे मोबाइल आदि पर गन्दी चीज दिखाते हैं या गेम खेलने के लिए कहते हैं उनकी शिकायत टीचर्स और माता पिता से करे.
मेरा अनुभव है कि पेरेंट्स को बच्चों के दोस्तों के मिजाज के बारे में पता होना चाहिए. उनका सिर्फ परिचय नहीं बल्कि वो उद्दंड हैं या फिर विनम्र इसका पता आपको होना चाहिए. उद्दंड बच्चों से दूर रहने के लिए कहे.
महाराज जी कहते हैं माता पिता बच्चों का दोस्त बने. तब ही आपसे वो खुलकर बात करेंगे.
बच्चों को सुधारने से पहले खुद सुधरे
हम में अगर गन्दी आदते होगी तो हम बच्चो को कैसे अच्छी आदत दे पाएंगे. हमारे में कई बार गन्दी आदते छिपी होती है जिसका हमें पता भी नहीं होता लेकिन वो कहीं ना कहीं हमारे बच्चो पर असर डालती है. अध्यात्म के जरिये गंदे विकार दूर किये जा सकते हैं. जैसे हम अपने परिवार के सदस्य से अच्छे से व्यवहार हीं करेंगे तो हमारे बच्चे कैसा अच्छे व्यवहार करेंगे.
अगर हम खुद मोबाइल को खुद से दूर करेंगे तो हमारे बच्चे हमे कह या सोच भी नहीं सकते कि पेरेंट्स तो खुद मोबाइल में घुसे रहते हैं और हमको गेम्स खेलने नहीं देते.
महाराज जी कहते है, हमें बच्चों को कुछ सिखाने के लिए उन्हें शासन (डांटना) में लेना पड़ता है. लेकिन हमें क्रोध नहीं करना सिर्फ क्रोध का नाटक करना है.
यानी हम होश में डांटे, हम होश ना खोये. अत्यधिक मार पीट ना करे.
कई माता पिता बच्चों के सामने टीवी पर क्लेश, झगडे और यहाँ तक कि प्रेम और काम आदि दृश्य देखते है. बॉलीवुड फिल्म्स में युवक और युवतियों के बीच प्रेम आकर्षण दिखाकर गंदे दृश्य भरकर दिखाए जाते है. अध्यात्म में सिनेमा देखना मना किया गया है. कई लोग को इससे आपत्ति होगी. लेकिन अगर बच्चों या खुद में विकार को ख़त्म करना है, तो यह बदलाव अपनाने होंगे.
टीवी और सिनेमा में अधिकांश प्रोग्राम पैसे कमाने के लिए बनाए जाते है. आपको चेक करना होगा कि बच्चा टीवी पर क्या देख रहा है, उसे ;यू रेटिंग और खासकर अध्यात्म से जुड़े भगवान् के परम भक्तों के चरित्र से जुड़े सीरियल और फिल्म्स दिखाए. यू टयूब पर भक्तमाल गाथा, संत रविदास, चैतन्य महाप्रभु, संत ज्ञानेश्वर, संत गोरा कुम्हार, संत नामदेव, संत तुकाराम जी, संत धन्ना जाट आदि फिल्म्स दिखाए. यू टयूब पर भक्तो के चरित्र, कथाये भरी पड़ी है. हाँ कुछ फिल्मों में मनोरंजन का तड़का डाला गया है. उससे आपको बचना है.
इस लेख में समय समय और भी काफी अच्छे विचार जोड़ेगे.