जीवनसाथी का चयन करते समय किन-किन बातों का ध्यान रखना चाहिए?

Discover the essential teachings of Sant Shri Hit Premanand Govind Sharan Ji Maharaj on choosing a life partner, the impact of modern influences on youth, the importance of spiritual practice, and the secrets to a blissful and balanced family life. This detailed Hindi article summarizes the wisdom shared in the viral satsang video, offering practical guidance for today’s generation.

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5/27/20251 min read

जीवनसाथी का चयन, युवा पीढ़ी की चुनौतियाँ और आध्यात्मिक जीवन – प्रेमानंद महाराज के प्रवचन का सारांश

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परिचय

आज के समय में जीवनसाथी का चयन, पारिवारिक संतुलन और युवा पीढ़ी की समस्याएँ हर परिवार के लिए महत्वपूर्ण विषय हैं। संत श्री हित प्रेमानंद गोविंद शरण जी महाराज ने अपने प्रवचन (वीडियो टाइम 2:09–10:53) में इन विषयों पर गहन और व्यावहारिक मार्गदर्शन दिया है।

1. जीवनसाथी का चयन – किन बातों का रखें ध्यान

  • सबसे पहले भगवान से प्रार्थना करें कि आपको पवित्र, संयमी और चरित्रवान जीवनसाथी मिले।

  • आजकल बॉयफ्रेंड-गर्लफ्रेंड जैसी प्रवृत्तियाँ व्यभिचार की ओर ले जाती हैं, जो भारतीय संस्कृति के विरुद्ध है। भारत की परंपरा में विवाह से पहले ब्रह्मचर्य और विवाह के बाद एकनिष्ठता को सर्वोच्च माना गया है।

  • डिवोर्स, लिव-इन रिलेशन, ब्रेकअप जैसी बातें भारतीय समाज में नई और हानिकारक प्रवृत्तियाँ हैं। इनसे बचना चाहिए।

  • जीवनसाथी के चयन में उसके चरित्र, संस्कार, संयम और धार्मिकता को प्राथमिकता दें।

  • भगवान से प्रार्थना करें, जैसे सीता जी ने गौरी माँ की पूजा की थी – "मुझे मेरे योग्य, सुशील, सुंदर और सज्जन वर मिले।"

  • स्वयं भी पवित्र और सुशील बनें, तभी पवित्र जीवनसाथी की प्राप्ति संभव है। यदि हम स्वयं अपवित्र हैं और पवित्र साथी की कामना करें, तो यह असंभव है1

2. आधुनिक युवा – समस्याएँ और समाधान

  • आज के युवा पार्टी, शराब, ड्रग्स जैसी बुरी आदतों की ओर आकर्षित हो रहे हैं। मोबाइल, इंटरनेट और सोशल मीडिया ने भी गलत दिशा में ले जाने में भूमिका निभाई है।

  • माता-पिता की जिम्मेदारी है कि बच्चों को सही शिक्षा दें, सत्संग सुनाएँ, नाम जप कराएँ और अध्यात्म से जोड़ें।

  • बच्चों को प्यार और अनुशासन दोनों की आवश्यकता है। केवल डांटना या केवल दुलारना पर्याप्त नहीं, संतुलन जरूरी है।

  • परिवारों का टूटना, संयुक्त परिवार की परंपरा का कमजोर होना भी बच्चों के संस्कारों पर नकारात्मक प्रभाव डालता है।

  • बच्चों को समय की कीमत समझाएँ, पढ़ाई के साथ-साथ आध्यात्मिकता में भी समय दें। 24 घंटे में से केवल 30 मिनट भी अगर भजन, सत्संग या नाम स्मरण को दें, तो जीवन में बड़ा फर्क आ सकता है1

3. सही मार्गदर्शन – बच्चों और परिवार के लिए

  • बच्चों को मोबाइल देना आज मजबूरी है, लेकिन उन्हें सत्संग और अच्छे कंटेंट से जोड़ना जरूरी है।

  • माता-पिता स्वयं भी आध्यात्मिक जीवन जिएँ, ताकि बच्चे उनका अनुसरण करें।

  • वर्तमान समय में बच्चों को अच्छे संस्कार देने के लिए माता-पिता को सतत प्रयास करना चाहिए। यदि माता-पिता संस्कारी हैं, तो बच्चे भी प्रभावित होते हैं, लेकिन पूर्वजन्म के संस्कार भी भूमिका निभाते हैं।

  • बच्चों को शासन (अनुशासन) और मित्रवत प्यार दोनों देना चाहिए। इससे वे गलत संगति और बुरी आदतों से बच सकते हैं।

4. भारतीय संस्कृति और पारिवारिक मूल्य

  • भारतीय संस्कृति में विवाह, परिवार और सामाजिक मूल्यों को सर्वोच्च स्थान दिया गया है।

  • परिवारों का टूटना, स्कूलों में अनुशासन की कमी, और समाज में नैतिकता का गिरना – ये सब आधुनिक समस्याओं की जड़ हैं।

  • संत प्रेमानंद महाराज का स्पष्ट संदेश है – "अपने बच्चों को भारतीय संस्कृति, सत्संग और भक्ति से जोड़ें, तभी वे सही मार्ग पर चलेंगे।"

  • परिवार में सभी को एक-दूसरे के लिए समय निकालना चाहिए, केवल भौतिक उपलब्धियों के पीछे न भागें।

5. आध्यात्मिकता का महत्व

  • जीवन में भौतिक सुख-सुविधाओं के साथ-साथ आध्यात्मिकता भी जरूरी है।

  • भगवान का नाम स्मरण, सत्संग, और भजन – ये सब जीवन को संतुलित और सुखमय बनाते हैं।

  • बच्चों को अध्यात्म से जोड़ना, उन्हें अच्छे संस्कार देना, और परिवार में प्रेम व एकता बनाए रखना – यही सच्ची सफलता है।

  • "राधा वल्लभ श्री हरिवंश" नाम जपते हुए भी यदि शिवजी का ध्यान करें तो भगवान शंकर की भी कृपा प्राप्त की जा सकती है – भजन बल से सब संभव है1

निष्कर्ष

संत श्री हित प्रेमानंद गोविंद शरण जी महाराज के प्रवचन आज के समय के लिए अत्यंत प्रासंगिक हैं। जीवनसाथी का चयन, बच्चों का सही मार्गदर्शन, परिवार में संस्कार और आध्यात्मिकता – ये सब मिलकर जीवन को सुखमय, संतुलित और सफल बनाते हैं। भारतीय संस्कृति की जड़ों से जुड़कर ही हम आने वाली पीढ़ी को सही दिशा दे सकते हैं।

महत्वपूर्ण सुझाव

  • जीवनसाथी चुनते समय चरित्र, संस्कार और धार्मिकता को प्राथमिकता दें।

  • बच्चों को आध्यात्मिकता से जोड़ें, सत्संग और नाम स्मरण की आदत डालें।

  • परिवार में संवाद, अनुशासन और प्रेम का संतुलन बनाए रखें।

  • आधुनिक बुरी प्रवृत्तियों से बचें और भारतीय संस्कृति को अपनाएँ।

यह लेख संत श्री हित प्रेमानंद गोविंद शरण जी महाराज के प्रवचन (2:09–10:53) पर आधारित है, जो आज के परिवार, युवा और समाज के लिए अत्यंत उपयोगी मार्गदर्शन प्रदान करता है।1

Sources:
YouTube Video Transcript: https://youtu.be/W3SFxJ3ca14

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