RERA प्रोजेक्ट में देरी पर होमबायर्स को मिलेगा 11% ब्याज सहित रिफंड

Telangana RERA ने हाल ही में एक अहम आदेश में, गैर-RERA पंजीकृत प्रोजेक्ट में देरी होने पर होमबायर्स को बिल्डर से 11% ब्याज सहित रिफंड देने का आदेश दिया है। जानिए इस फैसले का कानूनी महत्व, प्रक्रिया, और होमबायर्स के अधिकार विस्तार से।

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kaischale.com

5/30/20251 min read

तेलंगाना RERA का ऐतिहासिक फैसला: गैर-RERA प्रोजेक्ट में देरी पर होमबायर्स को मिलेगा 11% ब्याज सहित रिफंड

परिचय

भारतीय रियल एस्टेट सेक्टर में प्रोजेक्ट्स की डिलेवरी में देरी आम समस्या रही है। ऐसे में होमबायर्स अक्सर अपने अधिकारों को लेकर असमंजस में रहते हैं, खासकर जब प्रोजेक्ट RERA (Real Estate Regulatory Authority) के तहत पंजीकृत न हो। हाल ही में तेलंगाना RERA द्वारा एक ऐतिहासिक आदेश में, गैर-RERA पंजीकृत प्रोजेक्ट में देरी होने पर होमबायर्स को बिल्डर से 11% ब्याज सहित रिफंड देने का आदेश दिया गया है। यह फैसला न केवल कानून की दृष्टि से महत्वपूर्ण है, बल्कि यह देशभर के होमबायर्स के लिए एक नई उम्मीद भी लेकर आया है।

RERA क्या है और इसकी आवश्यकता क्यों पड़ी?

  • RERA (Real Estate Regulatory Authority) एक नियामक संस्था है, जिसे रियल एस्टेट सेक्टर में पारदर्शिता, जवाबदेही और उपभोक्ता संरक्षण के लिए 2016 में लागू किया गया था।

  • RERA के तहत पंजीकृत प्रोजेक्ट्स में बिल्डर्स को प्रोजेक्ट की पूरी जानकारी, समयसीमा, और वित्तीय विवरण साझा करना अनिवार्य है।

  • RERA का मुख्य उद्देश्य होमबायर्स के हितों की रक्षा करना और प्रोजेक्ट डिलेवरी में पारदर्शिता लाना है।

गैर-RERA पंजीकृत प्रोजेक्ट्स में समस्या

  • कई बिल्डर्स छोटे या पुराने प्रोजेक्ट्स को RERA में पंजीकृत नहीं कराते।

  • ऐसे प्रोजेक्ट्स में डिलेवरी में देरी, गुणवत्ता में कमी, और पैसे की हेराफेरी जैसी समस्याएं आम हैं।

  • होमबायर्स के पास शिकायत दर्ज कराने के सीमित विकल्प होते हैं, जिससे वे अक्सर न्याय से वंचित रह जाते हैं।

तेलंगाना RERA का आदेश: मुख्य बिंदु

  • तेलंगाना RERA ने एक गैर-RERA पंजीकृत प्रोजेक्ट में डिलेवरी में देरी पर बिल्डर को आदेश दिया कि वह होमबायर्स को जमा राशि 11% वार्षिक ब्याज सहित लौटाए।

  • यह आदेश इस आधार पर दिया गया कि भले ही प्रोजेक्ट RERA के तहत पंजीकृत नहीं था, लेकिन उपभोक्ता संरक्षण कानून के तहत होमबायर्स के अधिकार सुरक्षित हैं।

  • यह आदेश अन्य राज्यों के लिए भी मिसाल बन सकता है, जिससे गैर-RERA प्रोजेक्ट्स में फंसे होमबायर्स को राहत मिल सकती है।

11% ब्याज सहित रिफंड का महत्व

  • आमतौर पर, बिल्डर्स प्रोजेक्ट डिलेवरी में देरी के बावजूद होमबायर्स को उनकी जमा राशि लौटाने में आनाकानी करते हैं।

  • तेलंगाना RERA के इस आदेश के बाद, बिल्डर्स को अब न केवल मूल राशि, बल्कि 11% वार्षिक ब्याज भी देना होगा।

  • इससे होमबायर्स को आर्थिक नुकसान की भरपाई होगी और बिल्डर्स पर समय पर प्रोजेक्ट पूरा करने का दबाव भी बनेगा।

कानूनी पहलू: गैर-RERA प्रोजेक्ट्स में होमबायर्स के अधिकार

  • उपभोक्ता संरक्षण अधिनियम, 2019 के तहत, होमबायर्स उपभोक्ता माने जाते हैं और वे उपभोक्ता फोरम में शिकायत दर्ज कर सकते हैं।

  • सुप्रीम कोर्ट और विभिन्न उपभोक्ता अदालतों ने भी समय-समय पर यह स्पष्ट किया है कि RERA के अलावा भी होमबायर्स के पास अन्य कानूनी विकल्प उपलब्ध हैं।

  • तेलंगाना RERA के इस आदेश ने गैर-RERA प्रोजेक्ट्स में भी होमबायर्स के अधिकारों को और मजबूत किया है।

प्रभाव: बिल्डर्स और होमबायर्स पर असर

बिल्डर्स पर असर:

  • बिल्डर्स अब गैर-RERA प्रोजेक्ट्स में भी समयसीमा का पालन करने को बाध्य होंगे।

  • डिफॉल्ट या देरी की स्थिति में उन्हें आर्थिक दंड का सामना करना पड़ेगा।

होमबायर्स पर असर:

  • होमबायर्स के पास अब गैर-RERA प्रोजेक्ट्स में भी न्याय पाने का स्पष्ट रास्ता है।

  • इससे रियल एस्टेट सेक्टर में उपभोक्ता विश्वास बढ़ेगा।

प्रभावित होमबायर्स को क्या करना चाहिए?

  • प्रोजेक्ट डिलेवरी में देरी होने पर सबसे पहले बिल्डर को लिखित नोटिस दें।

  • यदि समाधान न मिले, तो उपभोक्ता फोरम या RERA अथॉरिटी में शिकायत दर्ज करें।

  • सभी दस्तावेज जैसे बुकिंग रसीद, भुगतान रसीद, एग्रीमेंट आदि को संभालकर रखें।

  • कानूनी सलाहकार की मदद लें, ताकि केस मजबूत रहे और जल्दी निपटारा हो सके।

होमबायर्स के लिए सुझाव

  • प्रोजेक्ट बुक करते समय RERA पंजीकरण की जांच अवश्य करें।

  • बिल्डर की साख, पुराने प्रोजेक्ट्स और डिलीवरी रिकॉर्ड की जांच करें।

  • किसी भी भुगतान या समझौते से पहले सभी शर्तों को अच्छी तरह पढ़ें और समझें।

  • डिलेवरी में देरी की स्थिति में तुरंत कानूनी कार्रवाई करें।

भविष्य में क्या बदलाव आ सकते हैं?

  • तेलंगाना RERA के इस आदेश के बाद अन्य राज्यों की RERA अथॉरिटीज भी गैर-RERA प्रोजेक्ट्स में होमबायर्स के अधिकारों को लेकर सख्त रुख अपना सकती हैं।

  • बिल्डर्स के लिए RERA पंजीकरण अनिवार्य करने की दिशा में और कड़े कानून आ सकते हैं।

  • रियल एस्टेट सेक्टर में पारदर्शिता और जवाबदेही बढ़ेगी, जिससे उपभोक्ताओं का विश्वास मजबूत होगा।

निष्कर्ष

तेलंगाना RERA का यह आदेश भारतीय रियल एस्टेट सेक्टर में एक महत्वपूर्ण मील का पत्थर है। इससे न केवल गैर-RERA प्रोजेक्ट्स में फंसे होमबायर्स को राहत मिलेगी, बल्कि बिल्डर्स पर भी समयसीमा का पालन करने का दबाव बढ़ेगा। होमबायर्स को चाहिए कि वे अपने अधिकारों के प्रति जागरूक रहें और जरूरत पड़ने पर कानूनी विकल्पों का इस्तेमाल करें। यह फैसला देशभर के होमबायर्स के लिए एक नई उम्मीद की किरण है, जो रियल एस्टेट सेक्टर में पारदर्शिता और उपभोक्ता संरक्षण को और मजबूत करेगा।

FAQs

Q1. क्या गैर-RERA प्रोजेक्ट्स में भी होमबायर्स को रिफंड मिल सकता है?
हाँ, उपभोक्ता संरक्षण कानून के तहत होमबायर्स को गैर-RERA प्रोजेक्ट्स में भी रिफंड और ब्याज मिल सकता है, जैसा कि तेलंगाना RERA के हालिया आदेश में देखा गया।

Q2. 11% ब्याज किस आधार पर तय किया गया?
यह ब्याज दर आमतौर पर उपभोक्ता अदालतों द्वारा प्रचलित नियमों और न्यायिक मिसालों के आधार पर तय की जाती है, ताकि होमबायर्स को उचित मुआवजा मिल सके।

Q3. अगर प्रोजेक्ट RERA में पंजीकृत नहीं है, तो शिकायत कहाँ करें?
ऐसी स्थिति में उपभोक्ता फोरम, जिला अदालत, या राज्य RERA अथॉरिटी में शिकायत की जा सकती है।

Q4. क्या यह आदेश पूरे भारत में लागू होगा?
यह आदेश तेलंगाना राज्य के लिए है, लेकिन इसकी मिसाल अन्य राज्यों में भी दी जा सकती है।

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