EPF ट्रांसफर क्लेम प्रक्रिया में बड़ा बदलाव: EPFO ने PF ट्रांसफर के नियम किए आसान
EPFO simplifies EPF transfer claim process in 2025, easing rules for PF account transfer between employers. Learn about the new guidelines, benefits, and step-by-step process for seamless PF transfer.
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EPF ट्रांसफर क्लेम प्रक्रिया में बड़ा बदलाव: EPFO ने PF ट्रांसफर के नियम किए आसान
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परिचय
कर्मचारी भविष्य निधि (EPF) भारतीय कर्मचारियों के लिए एक महत्वपूर्ण बचत योजना है। जब भी कोई कर्मचारी नौकरी बदलता है, तो उसे अपने पुराने नियोक्ता से नए नियोक्ता के पास PF बैलेंस ट्रांसफर करने की जरूरत होती है। इस प्रक्रिया में अक्सर कई तरह की जटिलताएं और देरी सामने आती थीं, खासकर जब सेवा अवधि (Service Period) में ओवरलैपिंग (Overlapping) होती थी। EPFO (Employees’ Provident Fund Organisation) ने हाल ही में इस प्रक्रिया को सरल बनाने के लिए नए दिशा-निर्देश जारी किए हैं, जिससे लाखों कर्मचारियों को राहत मिलेगी1।
EPF ट्रांसफर क्लेम क्या है?
जब कोई कर्मचारी एक कंपनी छोड़कर दूसरी कंपनी में शामिल होता है, तो उसके पास दो विकल्प होते हैं—या तो वह अपनी PF राशि निकाल ले, या फिर उसे नए नियोक्ता के खाते में ट्रांसफर कर दे। EPF ट्रांसफर क्लेम प्रक्रिया के जरिए कर्मचारी अपने पुराने PF अकाउंट का बैलेंस नए अकाउंट में ट्रांसफर कर सकते हैं1।
ओवरलैपिंग सर्विस पीरियड की समस्या
अक्सर ऐसा होता है कि दो नियोक्ताओं के रिकॉर्ड में कर्मचारी की सेवा अवधि ओवरलैप हो जाती है—यानी दोनों जगह एक ही समय में नौकरी दिखती है। अब तक इस वजह से EPF ट्रांसफर क्लेम्स को सीधे रिजेक्ट कर दिया जाता था, जिससे कर्मचारियों को काफी परेशानी होती थी1।
EPFO के नए दिशा-निर्देश: क्या बदला है?
EPFO ने 25 अप्रैल 2025 और 29 जनवरी 2024 को दो महत्वपूर्ण सर्कुलर जारी किए हैं, जिनका उद्देश्य ट्रांसफर क्लेम प्रक्रिया को तेज और पारदर्शी बनाना है1।
मुख्य बदलाव:
ओवरलैपिंग सर्विस पीरियड पर क्लेम रिजेक्ट नहीं होगा: अब ट्रांसफर क्लेम केवल ओवरलैपिंग के आधार पर रिजेक्ट नहीं किया जाएगा। EPFO ने माना है कि कई बार यह स्थिति वास्तविक कारणों से भी हो सकती है, जैसे जॉइनिंग डेट या रिलीविंग डेट में अंतर1।
ट्रांसफर-आउट (Source) ऑफिस की जिम्मेदारी बढ़ी: अब ट्रांसफर-आउट ऑफिस को क्लेम की पूरी जांच करनी होगी और केवल गंभीर संदेह की स्थिति में ही क्लैरिफिकेशन मांगा जाएगा। सामान्य ओवरलैपिंग पर क्लेम रिजेक्ट नहीं किया जाएगा1।
AO Transfer-in Rejection की जरूरत नहीं: यदि ट्रांसफर-आउट ऑफिस ने सभी डिटेल्स सही से वेरीफाई कर ली हैं, तो AO Transfer-in Rejection की भूमिका नहीं रहेगी1।
स्ट्रिक्ट वेरिफिकेशन प्रोटोकॉल: सभी ऑफिस को ट्रांसफर-आउट से पहले डिटेल्स की सख्त जांच करनी होगी ताकि कोई गलती न हो और बाद में शिकायत या देरी से बचा जा सके1।
नए नियमों के फायदे
कर्मचारियों को राहत: अब छोटी-छोटी तकनीकी गलतियों की वजह से क्लेम रिजेक्ट नहीं होंगे।
प्रक्रिया में तेजी: क्लेम रिजेक्शन कम होने से ट्रांसफर प्रक्रिया तेज होगी।
पारदर्शिता और जवाबदेही: EPFO ने ऑफिसर्स की जिम्मेदारी तय की है कि वे क्लेम को पूरी तरह वेरीफाई करें।
ग्राहक अनुभव बेहतर: EPF सदस्यों को कम शिकायतें और जल्दी समाधान मिलेगा।
EPF ट्रांसफर क्लेम प्रक्रिया: स्टेप-बाय-स्टेप गाइड (2025 के अनुसार)
UAN एक्टिवेट करें: Unified Account Number (UAN) को एक्टिवेट करें और अपने सभी PF खातों को लिंक करें।
EPFO पोर्टल पर लॉगिन करें: EPFO की वेबसाइट पर जाएं और UAN/पासवर्ड से लॉगिन करें।
Online Transfer Claim Portal (OTCP) चुनें: ‘One Member – One EPF Account (Transfer Request)’ ऑप्शन पर क्लिक करें।
विवरण भरें: पुराने और नए नियोक्ता की डिटेल्स भरें, सर्विस हिस्ट्री वेरीफाई करें।
क्लेम सबमिट करें: सबमिट करने के बाद, क्लेम ट्रांसफर-आउट ऑफिस के पास जाएगा।
वेरिफिकेशन और अप्रूवल: ऑफिसर डिटेल्स वेरीफाई करेंगे। ओवरलैपिंग सर्विस पीरियड होने पर भी क्लेम रिजेक्ट नहीं होगा, जब तक कोई गंभीर संदेह न हो।
क्लेम ट्रैक करें: आप अपने क्लेम की स्थिति EPFO पोर्टल पर ट्रैक कर सकते हैं।
ओवरलैपिंग सर्विस पीरियड के सामान्य कारण
पुराने और नए नियोक्ता की जॉइनिंग/रिलीविंग डेट में अंतर
HR या फाइनेंस डिपार्टमेंट की तरफ से डेटा एंट्री में गलती
कर्मचारी के नोटिस पीरियड के दौरान दूसरी कंपनी में जॉइन करना
EPFO ने माना है कि ये सभी कारण वास्तविक हो सकते हैं और इन्हें फ्रॉड नहीं माना जाएगा1।
EPFO के निर्देशों का महत्व
EPFO का यह कदम डिजिटल इंडिया और ई-गवर्नेंस की दिशा में एक बड़ा सुधार है। इससे न केवल कर्मचारियों को फायदा होगा, बल्कि EPFO की कार्यप्रणाली भी अधिक पारदर्शी और जवाबदेह बनेगी। अब कर्मचारी बिना डर के ट्रांसफर क्लेम कर सकते हैं, भले ही उनकी सेवा अवधि में ओवरलैपिंग हो1।
निष्कर्ष
EPFO द्वारा EPF ट्रांसफर क्लेम प्रक्रिया को सरल बनाना लाखों कर्मचारियों के लिए राहत की खबर है। अब ओवरलैपिंग सर्विस पीरियड जैसी तकनीकी वजहों से क्लेम रिजेक्ट नहीं होंगे, जिससे ट्रांसफर प्रक्रिया तेज और पारदर्शी होगी। EPFO के ये नए नियम डिजिटल इंडिया के विजन को भी मजबूत करते हैं और कर्मचारियों के अधिकारों की रक्षा करते हैं1।
नोट: EPFO के नए दिशा-निर्देश 25 अप्रैल 2025 और 29 जनवरी 2024 को जारी किए गए हैं। ट्रांसफर क्लेम से जुड़ी किसी भी समस्या के लिए EPFO पोर्टल या हेल्पलाइन से संपर्क करें1।
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Sources: ECONOMIC TIMES