भारत वेज नहीं नॉन वेज देश बन रहा है, घर, रेस्तरां से लेकर ZOMATO तक की छानबीन में हुए चौंकाने वाले खुलासे
Recent surveys and spending patterns reveal that India is increasingly embracing non-vegetarian diets, with both households and restaurants showing a marked shift towards animal-based foods. Surprising findings from homes to eateries challenge the long-held belief of India as a vegetarian nation.
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भारत में कितने लोग नॉन वेज खाते हैं?
भारत में नॉन वेज खाने वालों की संख्या हमेशा चर्चा का विषय रही है। कई अंतरराष्ट्रीय और राष्ट्रीय सर्वे के अनुसार, भारत में लगभग 80% लोग नॉन वेज (मांस, मछली, अंडा) खाते हैं, जबकि केवल 20% लोग पूरी तरह शाकाहारी हैं1681।
National Family Health Survey (NFHS-5) के अनुसार, 15-49 वर्ष की आयु के 83.4% पुरुष और 70.6% महिलाएं कभी न कभी नॉन वेज खाते हैं98।
Pew Research Center की रिपोर्ट में भी बताया गया है कि 81% भारतीय वयस्क मांसाहार पर कुछ न कुछ प्रतिबंध जरूर रखते हैं, लेकिन पूरी तरह मांसाहार त्यागने वालों की संख्या कम है7।
Rediff की स्टडी (2024) के अनुसार, भारत में लगभग 80% लोग नॉन वेज खाते हैं16।
राज्यों के अनुसार नॉन वेज खाने वालों की संख्या
नागालैंड: 99.8%
पश्चिम बंगाल: 99.3%
केरल: 99.1%
आंध्र प्रदेश: 98.25%
तमिलनाडु: 97.65%
ओडिशा, झारखंड, तेलंगाना: 97% से अधिक
बिहार: 88.07%
उत्तर प्रदेश: 59.08%
नॉन वेज लोग क्यों खाते हैं?
भारत में नॉन वेज खाने के कई सामाजिक, सांस्कृतिक, भौगोलिक और पोषण संबंधी कारण हैं:
पोषण: मांस, मछली, अंडा आदि प्रोटीन, आयरन, विटामिन B12 जैसे पोषक तत्वों के अच्छे स्रोत हैं, जो शाकाहार में सीमित मात्रा में मिलते हैं।
परंपरा और संस्कृति: पूर्वी और दक्षिणी भारत के कई समुदायों में नॉन वेज खाना पारंपरिक भोजन का हिस्सा है38।
भौगोलिक स्थिति: समुद्र तटीय और नदी किनारे बसे राज्यों में मछली और सीफूड प्रमुख आहार है।
आर्थिक स्थिति: आय बढ़ने के साथ लोग ज्यादा प्रोटीनयुक्त और विविध आहार की ओर बढ़ते हैं78।
स्वाद और विविधता: कई लोग स्वाद, विविधता और सामाजिक आयोजनों के कारण भी नॉन वेज पसंद करते हैं।
क्या ब्राह्मण वर्ग के लोग भी नॉन वेज खा रहे हैं?
परंपरागत रूप से ब्राह्मण समुदाय को शाकाहारी माना जाता है, लेकिन बदलती सामाजिक परिस्थितियों में ब्राह्मणों में भी नॉन वेज खाने की प्रवृत्ति बढ़ी है:
आज के समय में कई ब्राह्मण परिवार, विशेषकर शहरी और युवा पीढ़ी, नॉन वेज खाना शुरू कर चुकी है5।
धार्मिक कारणों से कई ब्राह्मण आज भी नॉन वेज, प्याज, लहसुन, मसूर दाल आदि से परहेज करते हैं।
पिछले 5 सालों में क्या नॉन वेज खाने वालों की संख्या बढ़ी है?
NFHS-5 (2019-21) और NFHS-4 (2015-16) की तुलना करें तो नॉन वेज खाने वालों की संख्या में स्पष्ट वृद्धि हुई है:
पुरुषों में 78.4% से बढ़कर 83.4%
महिलाओं में 70% से बढ़कर 70.6%
25 राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों में नॉन वेज खाने वालों की संख्या बढ़ी है।
खासतौर पर झारखंड, तेलंगाना, आंध्र प्रदेश, बिहार, सिक्किम, महाराष्ट्र, पंजाब, ओडिशा आदि में यह वृद्धि उल्लेखनीय रही है7।
NITI Aayog के अनुसार, 2010-2020 के दौरान मांस और मछली की मांग में 49% की वृद्धि हुई।
देश में वेज रेस्टोरेंट ज्यादा हैं या नॉन वेज?
2025 के आंकड़ों के अनुसार:
महाराष्ट्र, तमिलनाडु, उत्तर प्रदेश में सबसे ज्यादा वेज रेस्टोरेंट हैं11।
महाराष्ट्र, तमिलनाडु, कर्नाटक में सबसे ज्यादा नॉन वेज रेस्टोरेंट हैं10।
रेस्टोरेंट टाइपसंख्या (2025)वेजिटेरियन39,969नॉन वेजिटेरियन10,925
Zomato पर नॉन वेज के ऑर्डर ज्यादा आते हैं या वेज के?
Zomato जैसी फूड डिलीवरी प्लेटफॉर्म्स पर दोनों तरह के ऑर्डर आते हैं, लेकिन
Zomato ने हाल ही में "Pure Veg Mode" और "Pure Veg Fleet" लॉन्च किया है, जिससे यह स्पष्ट होता है कि शुद्ध शाकाहारी ग्राहकों की संख्या भी बड़ी है13।
हालांकि, प्लेटफॉर्म पर नॉन वेज ऑर्डर की संख्या अधिक है, खासकर युवा और शहरी आबादी में।
प्रेमानंद जी के मांसाहार पर कड़े शब्द (Strong Words on Non-Veg)
"मांस खाने वाला कभी भी अपने जीवन में शांति और सुख नहीं पा सकता।"
"जो जीवों की हत्या करता है, उसका हृदय कभी निर्मल नहीं हो सकता।"
"मांसाहार करने वाले व्यक्ति के मन में करुणा, दया और प्रेम नहीं रह सकता।"
"जो जीवों को मारकर खाते हैं, वे अपने पाप का बोझ बढ़ाते हैं और जन्म-जन्मांतर तक दुख भोगते हैं।"
"मांसाहार से शरीर में रोग, मन में अशांति और आत्मा में अंधकार आता है।"
"भगवान ने हमें दया, प्रेम और करुणा का संदेश दिया है, न कि हिंसा और हत्या का।"
प्रेमानंद जी का संदेश
"अगर आप सच में भगवान को पाना चाहते हैं, तो सबसे पहले मांसाहार छोड़ दें। मांस खाना केवल शरीर का नहीं, आत्मा काभी पतन है।
निष्कर्ष
प्रेमानंद जी महाराज का संदेश स्पष्ट है — मांसाहार त्यागिए, शाकाहारी बनिए और अपने जीवन को पवित्र, शांत और सुखमय बनाइए।
प्रमुख सर्वे और स्टडीज
National Family Health Survey (NFHS-4 और NFHS-5)
Pew Research Center Survey
NITI Aayog Food Demand Projection
Ministry of Statistics and Programme Implementation, Household Consumption Expenditure Survey 2022-23
Rediff Study by Dr. Balamurali Natarajan and Dr. Suraj Jacob
IJFMR: Frequent Consumption Of Non-Vegetarian Food And Its Impact On Adult Health (2024)17
NSSO Household Consumer Expenditure Survey (2011-12)
निष्कर्ष
भारत में नॉन वेज खाने वालों की संख्या 80% के आसपास है और यह लगातार बढ़ रही है। सामाजिक, आर्थिक, पोषण और सांस्कृतिक कारणों से नॉन वेज का चलन बढ़ा है। ब्राह्मण वर्ग में भी अब मांसाहार का चलन दिखने लगा है, हालांकि धार्मिक और पारंपरिक कारणों से कुछ ब्राह्मण आज भी शाकाहार को प्राथमिकता देते हैं। देश में वेज रेस्टोरेंट की संख्या ज्यादा है, लेकिन नॉन वेज रेस्टोरेंट और ऑर्डरिंग में भी जबरदस्त वृद्धि हो रही है। Zomato जैसे प्लेटफॉर्म पर नॉन वेज ऑर्डर अधिक हैं, लेकिन शुद्ध शाकाहारी ग्राहकों के लिए भी विशेष सेवाएं शुरू हो चुकी हैं।