नशा, गन्दी वेब सीरीज, भटकाऊ सोशल मीडिया और ग्लैमर आईपीएल के बीच निमाई पाठशाला एक आशा की किरण

लोगो को जब मनोरंजन के नाम पर गंद परोसा जा रहा है, उन्हें भटकाया जा रहा है, ऐसे में निमाई पाठशाला हर उम्र के लाखों लोगो को अध्यात्म के रास्ते पर सफलतापूर्वक ले जा रहा है.

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DHEERAJ KANOJIA

5/26/20251 min read

25 मई, सन्डे. दिल्ली में सन्डे के दिन. खासकर शाम के समय शौपिंग मॉल, मार्किट, टूरिस्ट प्लेसेस, मल्टीप्लेक्स, रेस्टुरेंट फुल होते है. ऊपर से आईपीएल चल रहा हो तो युवा क्या छोटे बड़े सब घर में टीवी या फ़ूड कोर्ट्स में लगे टीवी स्क्रीन में चिपके रहते है. टीनएज लैंग्वेज में कहे तो सब चिल्ल करने के मूड में होते हैं. लेकिन ऐसे में कोई प्रोग्राम अध्यात्म, शास्त्र. श्री मद्भागवत जी, श्रीमद्भगवद्गीता जी पर बेस्ड हो, तो उसमें कितने लोग पहुंचेंगे.

दिल्ली के वीआपी इलाके से जुड़े टीटीडी बालाजी मंदिर में निमाई पाठशाला के पांच साल पूरा होने की ख़ुशी में एक उत्सव हुआ था. वेन्यू हॉल में पैर रखने की जगह नहीं थी. बूढ़े क्या जवान, सब राधे राधे, हरिबोल, राधा रमण जी की जय हो के जयकारे में झूम रहे थे. शायद देश में इस समय सनातन hindu धर्म का स्वर्णिम काल चल रहा है. वृन्दावन से परम पूज्य प्रेमानंद जी महाराज जी ने दुनियाभर में श्री जी की कृपा से भक्ति की गंगा बहाई हुई है, जबकि निमाई पाठशाला के इस कार्यक्रम को देख कर समझ आ गया कि अगर भगवान् को साथ लेकर आगे बढे तो असंभव काम भी संभव हो ही जाता है. वहां युवा समेत हर उम्र के लोग महान शास्त्रों के संस्कृत में श्लोक का उच्चारण बहुत आसानी से कर रहे थे. माथे में तिलक, धोती कुर्ता, साड़ी पहनकर भगवान् जी के संकीर्तन में झूम रहे थे. आइये जानते है निमाई पाठशाला क्या है, कैसे और क्यों शुरू हुई. इसकी सफलता के पीछे किनकी भूमिका है.

निमाई पाठशाला: स्थापना, उद्देश्य और गतिविधियाँ

निमाई पाठशाला एक अनूठी शैक्षिक एवं आध्यात्मिक पहल है, जिसकी शुरुआत जून 2020 में वृंदावन के राधारमण मंदिर के आचार्य पुण्डरीक गोस्वामी जी और उनकी पत्नी श्रीमती रेणुका पुण्डरीक गोस्वामी जी ने की थी। इसका मुख्य उद्देश्य भारतीय संस्कृति, वेद, पुराण, शास्त्र, पूजा पद्धति, और नैतिक मूल्यों की शिक्षा देना है, विशेषकर युवाओं और वंचित बच्चों को।

स्थापना का कारण एवं पृष्ठभूमि

  • कोविड महामारी के दौरान, जब पारंपरिक शिक्षण और सत्संग संभव नहीं था, तब सोशल मीडिया के माध्यम से निमाई पाठशाला की शुरुआत हुई।

  • इसका नाम भगवान चैतन्य महाप्रभु (निमाई) के नाम पर रखा गया, जो श्रीकृष्ण के अवतार माने जाते हैं।

  • उद्देश्य था—सभी आयु वर्ग के लोगों तक वेद-शास्त्र, भगवद गीता, और भारतीय संस्कृति की गहराई को सरल भाषा में पहुँचाना।

संचालन कौन करता है?

  • मुख्य संचालिका: श्रीमती रेणुका पुण्डरीक गोस्वामी जी—वे हर रविवार को विस्तृत कक्षा लेती हैं और बच्चों से लेकर वरिष्ठ नागरिकों तक को व्यक्तिगत मार्गदर्शन देती हैं।

  • मार्गदर्शक: आचार्य पुण्डरीक गोस्वामी जी—वे संस्था के आध्यात्मिक और संरचनात्मक मार्गदर्शक हैं।

  • संस्थान: वैजयंती आश्रम, वृंदावन द्वारा संचालित।

कितने वर्ष हो गए?

  • निमाई पाठशाला की स्थापना जून 2020 में हुई थी, यानी मई 2025 तक इसे पाँच वर्ष पूरे हो चुके हैं।

कितने लोग जुड़े हैं?

  • प्रारंभिक एक वर्ष में ही एक लाख से अधिक लोग इससे जुड़ गए थे।

  • अभी तीन लाख से ज्यादा सदस्य जुड़े हैं.

  • आज देश-विदेश के विभिन्न हिस्सों से 20,000+ लोग नियमित रूप से ऑनलाइन कक्षाओं में भाग लेते हैं। इनमें 3.5 वर्ष के बच्चे से लेकर 85 वर्ष की वृद्ध महिलाएँ भी शामिल हैं।

क्या यह संस्था फीस लेती है?

  • नहीं। निमाई पाठशाला की सभी ऑनलाइन और ऑफलाइन कक्षाएँ पूर्णतः निःशुल्क हैं। किसी भी विद्यार्थी से कोई शुल्क नहीं लिया जाता।

कितने कार्यक्रम हुए?

  • साप्ताहिक कक्षाएँ: हर रविवार को विस्तृत ऑनलाइन/ऑफलाइन कक्षाएँ।

  • विशेष शिविर: तीन दिवसीय शिविर, पंचकोसी परिक्रमा, संस्कृत कक्षाएँ, कीर्तन, प्रभात फेरी आदि।

  • दिल्ली में पहल: हर गुरुवार को दिल्ली की झुग्गी बस्तियों में बच्चों को भगवद गीता की शिक्षा, स्टेशनरी वितरण, और जीवन मूल्यों की शिक्षा दी जाती है।

  • देश-विदेश में सेमिनार: भारत के अलावा, संस्था की गतिविधियाँ अब अंतरराष्ट्रीय स्तर तक पहुँच चुकी हैं।

युवाओं को क्या लाभ?

  • युवाओं को भारतीय संस्कृति, भगवद गीता, और वेद-शास्त्र के गहरे अर्थ समझने का अवसर मिलता है।

  • जीवन की समस्याओं का समाधान, नैतिकता, नेतृत्व, और आत्मविश्वास विकसित होता है।

  • आध्यात्मिकता और आधुनिक जीवन के बीच संतुलन बनाना सिखाया जाता है।

संस्थापक: रेणुका गोस्वामी और पुण्डरीक गोस्वामी जी का परिचय

पुण्डरीक गोस्वामी जी:

  • जन्म: 20 जुलाई 1988, वृंदावन।

  • 38वीं पीढ़ी के आचार्य, राधारमण मंदिर के वंशज।

  • शिक्षा: दिल्ली विश्वविद्यालय से समाजशास्त्र स्नातक, ऑक्सफोर्ड विश्वविद्यालय में अध्ययन (पिता के निधन के बाद भारत लौटे)।

  • 7 वर्ष की आयु से ही गीता पर प्रवचन शुरू किया।

  • उद्देश्य: युवाओं को भारतीय धर्म, भक्ति और संस्कृति से जोड़ना; संतुलित भौतिक और आध्यात्मिक जीवन की शिक्षा देना।

  • अनेक सरकारी, अंतरराष्ट्रीय मंचों पर भारत का प्रतिनिधित्व किया।

रेणुका पुण्डरीक गोस्वामी जी:

  • निमाई पाठशाला की मुख्य संस्थापक व संचालिका।

  • हर रविवार को स्वयं कक्षाएँ लेती हैं; विशेष रूप से महिलाओं और बच्चों के लिए प्रेरणास्त्रोत।

  • संयुक्त राष्ट्र (UN) में भारत का प्रतिनिधित्व कर चुकी हैं, जहाँ उन्होंने वेदों में महिलाओं की भूमिका पर विचार प्रस्तुत किए।

  • उनका मिशन: वेद-शास्त्र की शिक्षा को हर वर्ग, विशेषकर वंचित बच्चों और महिलाओं तक पहुँचाना।

निष्कर्ष:
निमाई पाठशाला आज एक सशक्त, नि:शुल्क, और समावेशी मंच है, जो भारतीय संस्कृति, वेद-शास्त्र, और नैतिक मूल्यों की शिक्षा को घर-घर तक पहुँचा रहा है। इसके पीछे पुण्डरीक गोस्वामी जी और रेणुका गोस्वामी जी की दूरदर्शिता, समर्पण और सेवा भावना है, जिसका लाभ हजारों युवा और समाज के वंचित वर्ग उठा रहे हैं