आयकर रिटर्न (ITR) फाइलिंग FY2024-25: HRA क्लेम, कैपिटल गेन टैक्स कैलकुलेशन सहित 7 आम गलतियां, जिनसे बचें
वित्त वर्ष 2024-25 के लिए आयकर रिटर्न (ITR) फाइल करते समय कई टैक्सपेयर्स आम गलतियां कर बैठते हैं, जिससे उन्हें नोटिस, अतिरिक्त टैक्स या पेनल्टी का सामना करना पड़ सकता है। खासतौर पर HRA क्लेम, कैपिटल गेन टैक्स की गणना, और अन्य डिडक्शन संबंधी चूकें आम हैं। इस लेख में हम ITR फाइलिंग के दौरान होने वाली 7 प्रमुख गलतियों और उनसे बचने के उपायों पर विस्तार से चर्चा करेंगे।
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वित्त वर्ष 2024-25 के लिए आयकर रिटर्न (ITR) फाइल करते समय कई टैक्सपेयर्स आम गलतियां कर बैठते हैं, जिससे उन्हें नोटिस, अतिरिक्त टैक्स या पेनल्टी का सामना करना पड़ सकता है। खासतौर पर HRA क्लेम, कैपिटल गेन टैक्स की गणना, और अन्य डिडक्शन संबंधी चूकें आम हैं। इस लेख में हम ITR फाइलिंग के दौरान होने वाली 7 प्रमुख गलतियों और उनसे बचने के उपायों पर विस्तार से चर्चा करेंगे।
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ITR फाइलिंग में 7 आम गलतियां और उनसे बचाव
1. HRA क्लेम में गलतियां
कई बार टैक्सपेयर्स HRA (House Rent Allowance) क्लेम करते समय सही दस्तावेज नहीं लगाते या गलत अमाउंट क्लेम कर देते हैं। HRA क्लेम करते समय आपको रेंट एग्रीमेंट, रेंट रिसीट्स और मकान मालिक का PAN नंबर (यदि किराया ₹1 लाख सालाना से ज्यादा है) देना जरूरी है। गलत HRA क्लेम करने पर टैक्स डिपार्टमेंट नोटिस भेज सकता है।
बचाव:
सही रेंट एग्रीमेंट और रिसीट्स रखें
PAN डिटेल्स सही भरें
जितना किराया दिया है, उतना ही क्लेम करें
2. कैपिटल गेन टैक्स की गलत गणना
बहुत से लोग शेयर, म्यूचुअल फंड, प्रॉपर्टी आदि की बिक्री से हुए कैपिटल गेन की सही गणना नहीं करते। कई बार इंडेक्सेशन, एक्सेम्प्शन या लॉन्ग टर्म/शॉर्ट टर्म कैपिटल गेन की कैटेगरी में गड़बड़ी हो जाती है।
बचाव:
सभी सेल ट्रांजैक्शन का रिकॉर्ड रखें
इंडेक्सेशन का सही इस्तेमाल करें
सही ITR फॉर्म चुनें
सेक्शन 54, 54F आदि के तहत छूट का सही क्लेम करें
3. गलत ITR फॉर्म का चयन
गलत ITR फॉर्म चुनने से रिटर्न अमान्य हो सकता है। उदाहरण के लिए, यदि आपके पास कैपिटल गेन है और आपने ITR-1 भर दिया, तो यह गलत होगा।
बचाव:
अपनी आय के स्रोत के अनुसार सही फॉर्म चुनें
ITR-1: केवल सैलरी/पेंशन, एक घर, अन्य स्रोत
ITR-2: कैपिटल गेन, एक से अधिक घर
ITR-3/4: बिजनेस/प्रोफेशनल इनकम
4. इनकम या डिडक्शन छुपाना
कई लोग बैंक FD, सेविंग्स अकाउंट इंटरेस्ट, अन्य इनकम या डिडक्शन को छुपा लेते हैं। आयकर विभाग के पास SFT (Specified Financial Transactions) और TDS/TCS डेटा होता है, जिससे छुपाई गई इनकम पकड़ में आ सकती है।
बचाव:
फॉर्म 26AS, AIS, TIS से अपनी इनकम मिलान करें
सभी इनकम सोर्स और डिडक्शन सही-सही भरें
5. टैक्स क्रेडिट (TDS) की गलत जानकारी
कई बार टैक्सपेयर्स TDS का क्लेम करते हैं, लेकिन फॉर्म 26AS या AIS से मिलान नहीं करते। इससे रिफंड में देरी या नोटिस आ सकता है।
बचाव:
फॉर्म 26AS और AIS से TDS/TCS मिलान करें
गलत या डुप्लीकेट क्लेम न करें
6. डिडक्शन क्लेम में गड़बड़ी
धारा 80C, 80D, 80G आदि के तहत डिडक्शन का गलत क्लेम या डुप्लीकेट क्लेम आम है। कई बार निवेश के दस्तावेज या डोनेशन की रसीद नहीं लगाई जाती।
बचाव:
सभी निवेश और डोनेशन की रसीदें रखें
जितना निवेश किया है, उतना ही क्लेम करें
डिडक्शन की सीमा का ध्यान रखें
7. रिटर्न वेरिफिकेशन में देरी
ITR फाइल करने के बाद उसका वेरिफिकेशन (ई-वेरिफाई) करना जरूरी है। बिना वेरिफिकेशन के रिटर्न प्रोसेस नहीं होता।
बचाव:
ITR फाइलिंग के 30 दिन के भीतर वेरिफिकेशन करें
ई-वेरिफिकेशन के लिए आधार OTP, नेट बैंकिंग, या डिमैट अकाउंट का इस्तेमाल करें
ITR फाइलिंग के लिए जरूरी टिप्स
सभी डॉक्युमेंट्स (फॉर्म 16, 26AS, AIS, बैंक स्टेटमेंट, निवेश की रसीदें) तैयार रखें
सही ITR फॉर्म चुनें
सभी इनकम और डिडक्शन सही-सही दर्ज करें
रिटर्न फाइल करने के बाद वेरिफिकेशन जरूर करें
अगर कोई गलती हो जाए तो रिवाइज्ड रिटर्न फाइल करें
निष्कर्ष
ITR फाइलिंग में छोटी-छोटी गलतियां भी बड़ा झंझट पैदा कर सकती हैं। सही डॉक्युमेंटेशन, इनकम और डिडक्शन की सही जानकारी, और समय पर वेरिफिकेशन से आप टैक्स नोटिस, पेनल्टी और रिफंड में देरी से बच सकते हैं। टैक्स फाइलिंग को गंभीरता से लें और जरूरत पड़े तो एक्सपर्ट की सलाह जरूर लें।