These four poisons are killing everyone ये चार जहर सबको मार रहे हैं कोई जान नहीं पा रहा

तिजोरी की चाबी अन्दर है, ढूंढ बाहर रहा है

SPRITUALITY

11/8/20231 min read

ये चार जहर सबको मार रहे हैं कोई जान नहीं पा रहा

तिजोरी की चाबी अन्दर है, ढूंढ बाहर रहा है

हम सभी को आमतौर पर लगता है कि हम कोई पाप नहीं करते. हम पाप को चोरी, डकैती, दुसरो के साथ बेईमान, मांस खाना, शराब आदि ही मानते है. यह तो महापाप ही है. लेकिन हम अपने जीवन में कुछ ऐसे जहर को पी रहे है, जो हमें और दूसरों को मार रहा हैं. हमें इन जहरों के बार में पता तक नहीं है.

महाराज जी ने इन 4 जहरों का खुलासा किया.

1. भोगों में आसक्ति

2. कर्मों में कामना

3. विचारों में अहंकार

4. परिवार या सम्बन्धियों में ममता

पूज्य महाराज जी के वचन

आप विषय सेवन धर्मपूर्वक करो, उसमें आसक्ति नहीं करो. परिवार में ममता नहीं प्रियता रखो, भगवान का भाव रखे। कर्म करो भगवान को समर्पित कर दो। विचारों में अहंकार ना होने पाए. कोई भी भोग धर्म से विरुद्ध नहीं होगा।

ये चार बहुत बड़े विष पूरे विश्व को मार रहे हैं.

अगर सत्संग के द्वारा जान जाओ, कला सीख जाओ, इन को हटा दो तो फिर खीर खीर है, आनंद ही आनंद है। दसों दिशाएं मंगल मय हो जाएगी।

आपको कैसे करना है?

परिवार में रहते हुए ममता नहीं है। सबसे समता (सामान व्यवहार) है, भगवान का भाव है.

विषय सेवन हो रहा है धर्मपूर्वक लेकिन उसकी आसक्ति नहीं है। कितना इतनी बडी ऊँची स्थिति है।

विचार है पर अहंकार नहीं कितनी बढिया कर्म है पर कामना नहीं है। इसी को तो जीवन्मुक्त महापुरुष कहते हैं, वो तो ग्रहस्थी में भी हो सकता है.

आसक्ति, कामना, अहंकार, ममता ये चार ऐसे जहर है जो पूरे विश्व को मार रहे हैं। इन्हीं में पूरा विश्व फंसा हुआ है और इन्ही को छोड दे परमानंद में अभी डूब जाये.

हम लोग सच्चे अध्यात्म को समझ नहीं पाते। बाहरी चीजो में हम फंसे रहते हैं कि चार दिन फल पालेंगे, फलाहार है. ऐसा है वैसा है ये सब बाहरी बातें।

भाई अंदर घुस और तिजोरी को खोल जहाँ माल भरा है, बाहर चाबी नहीं है। अंदर चाबी है तुम उसको बाहर ढूंढते हो। घर में चाबी खो आए और बाहर खोज रहे तो कितने वर्ष खोजो मिलेगी क्या ? बाहर नहीं मिलने वाला।

यह चाबी अंदर है, लौट जाओ आनंद की चाबी गुरुदेव के पास है वो युक्तियां जैसे बात चार समझ लो परिवार से प्रीति करनी है ममता नहीं भोगों का सेवन करना आसक्ति नहीं. कर्म करना है पर कामना नहीं. विचार हर समय चलते रहते पर अहंकार नहीं. आप देखो इन को जाँच कर लो हर विचार में अहंकार मैं ये क्या मैं करूँगा मैं ऐसा करता हूँ

परिवार मेरा केवल वैसी ममता की जैसे तुम अपने बच्चे से प्यार करते हो। ऐसे दूसरों के बच्चे से क्यों नहीं करते. अब दूध केमिकल मिलाकर बेच रहे हैं, अपने बच्चे को कितना प्यार और दूसरे के बच्चों के हाथों में जब वो दूध जाएगा जहर पी रहा है। ममता से अपने बच्चे की रक्षा के लिए दुसरे बच्चे की हत्या कर रहा है। दूसरे का कितना आप जब लंबे विचार करके देखो तो इस ममता ने हाहाकार मचा दिया। भोगों की आसक्ति ने कैसा पापा चरण करा दिया। ये चार विष है। अगर इन चार विषयों से बच जाए तो निश्चित भगवत्प्राप्ति हो जाएगी।

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