90 साल के बाबा वृन्दावन में हमेशा क्यों भागते हैं ? 40 साल से बिना कुछ खास खाए कैसे जीवित हैं? सोते भी है ना के बराबर

Meet the incredible 90-year-old saint of Vrindavan, who completes the 12 km parikrama daily with devotion and energy, sharing his miraculous experiences and unwavering faith in Radha Rani.

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kaisechale.com

5/27/20251 min read

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वृंदावन के 90 वर्षीय संत की प्रेरणादायक कहानी: दौड़ते हुए लगाते हैं 12 किमी की परिक्रमा

परिचय

वृंदावन, जिसे मंदिरों और साधु-संतों की नगरी कहा जाता है, हमेशा से भक्तों के लिए आस्था और आध्यात्मिकता का केंद्र रहा है। इस पवित्र भूमि में कई तपस्वी संत निवास करते हैं, जिनकी साधना और भक्ति आज भी लोगों के लिए प्रेरणा है। आज हम आपको एक ऐसे अद्भुत संत से मिलवाते हैं, जो 90 वर्ष की आयु में भी रोज़ाना 12 किलोमीटर की परिक्रमा दौड़ते हुए लगाते हैं1। उनकी ऊर्जा, भक्ति और साधना की कहानी हर किसी को चौंका देती है।

संत का परिचय और जीवनशैली

यह संत, जिन्हें लोग 'लाल बाबा' के नाम से जानते हैं, पिछले 40 वर्षों से वृंदावन में रहकर सेवा और साधना कर रहे हैं। बाबा की उम्र 90 वर्ष हो चुकी है, लेकिन उनकी दिनचर्या आज भी युवाओं को मात देती है। वे रोज़ाना सुबह उठकर सेवाकुंज से लेकर चामुंडा मंदिर तक की 12 किलोमीटर लंबी परिक्रमा दौड़ते हुए पूरी करते हैं। जब उनसे पूछा गया कि इतनी ऊर्जा कहां से आती है, तो वे मुस्कुराते हुए कहते हैं, "यह सब राधा रानी की कृपा है।"1

परिक्रमा का महत्व और अनुभव

बाबा बताते हैं कि वे रोज़ाना पहली परिक्रमा दौड़ते हुए लगाते हैं और यह उनकी साधना का हिस्सा है। एक दिन में वे कई बार परिक्रमा करते हैं, और कार्तिक माह में तो चौरासी कोस की परिक्रमा भी करते हैं। उनका मानना है कि परिक्रमा करते समय उन्हें राधा रानी से विशेष शक्ति और ऊर्जा मिलती है, जिससे थकान का अनुभव नहीं होता।1

भोजन और दिनचर्या

बाबा का भोजन बहुत ही सादा और सात्विक है। वे मुख्यतः हल्का प्रसाद, फल, और कभी-कभी चाय-पानी लेते हैं। उनका कहना है कि राधा रानी की कृपा से ही उनका शरीर इतना स्वस्थ और ऊर्जावान है। वे अधिकतर समय ठाकुर जी की सेवा, माला बनाने, और मंदिरों की सफाई में बिताते हैं।1

राधा रानी और चमत्कारी अनुभव

बाबा के जीवन में कई चमत्कारी अनुभव हुए हैं। वे बताते हैं कि कई बार उन्हें राधा रानी और अन्य देवी-देवताओं के साक्षात दर्शन हुए हैं। एक घटना में, जब वे माला बना रहे थे, तो अचानक माला नीचे गिर गई और एक कन्या ने आकर उनकी सेवा की। बाबा मानते हैं कि यह स्वयं राधा रानी थीं, जो अपने भक्त की सेवा करने आई थीं।1

भक्तों के लिए संदेश

बाबा का मानना है कि सच्चे मन से भगवान की भक्ति और सेवा करने पर भगवान स्वयं अपने भक्तों पर कृपा बरसाते हैं। वे कहते हैं कि "अगर भक्ति सच्ची हो, तो भगवान किसी भी रूप में अपने भक्त की सहायता करने आ जाते हैं।"1

वृंदावन में बदलाव

बाबा बताते हैं कि जब वे 40 साल पहले वृंदावन आए थे, तब यहां शांति और सन्नाटा था। अब भीड़-भाड़ और चहल-पहल बढ़ गई है, लेकिन सेवा और साधना का महत्व आज भी उतना ही है। वे आज भी पूरे मन से मंदिरों की सफाई, माला बनाना, और ठाकुर जी का श्रृंगार करते हैं।1

अनूठी साधना और तपस्या

बाबा की साधना केवल परिक्रमा तक सीमित नहीं है। वे रात में भी जागकर ठाकुर जी के लिए माला बनाते हैं और श्रृंगार तैयार करते हैं। उनका मानना है कि ठाकुर जी की सेवा में ही उन्हें सच्चा सुख और शांति मिलती है।

समाज को संदेश

बाबा की कहानी हमें यह सिखाती है कि उम्र कभी भी भक्ति और सेवा में बाधा नहीं बन सकती। अगर मन में श्रद्धा और समर्पण हो, तो कोई भी कार्य असंभव नहीं है। वे युवाओं को संदेश देते हैं कि जीवन में सच्ची भक्ति, सेवा और साधना को अपनाएं, तभी जीवन सफल और सार्थक बन सकता है।1

निष्कर्ष

वृंदावन के इस 90 वर्षीय संत की कहानी न केवल भक्तों के लिए, बल्कि हर व्यक्ति के लिए प्रेरणा है। उनकी साधना, भक्ति, और जीवनशैली यह सिद्ध करती है कि सच्ची श्रद्धा से भगवान की कृपा अवश्य मिलती है। उनकी ऊर्जा, उत्साह और भक्ति आज भी वृंदावन की गलियों में गूंजती है, और आने वाली पीढ़ियों को भक्ति और सेवा का संदेश देती है।1

नोट: यह लेख मेरो वृन्दावन YOUTUBE channel के वीडियो के आधार पर तैयार किया गया है, जिसमें संत के जीवन, साधना और चमत्कारी अनुभवों का विस्तार से वर्णन किया गया है।