15 जून से पहले ITR फाइल करने से क्यों बचें? जानिए 2025 में टैक्सपेयर्स के लिए जरूरी बातें

Discover why tax experts advise Indian taxpayers to avoid filing their Income Tax Return (ITR) before June 15, 2025. Learn about TDS certificates, AIS updates, SFT reporting, and the risks of early filing.

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5/27/20251 min read

15 जून से पहले ITR फाइल करने से क्यों बचें? जानिए 2025 में टैक्सपेयर्स के लिए जरूरी बातें

आयकर विभाग ने हाल ही में वित्त वर्ष 2024-25 (आकलन वर्ष 2025-26) के लिए इनकम टैक्स रिटर्न (ITR) फॉर्म्स जारी कर दिए हैं। हालांकि, इस बार ITR फॉर्म्स अप्रैल के अंत में जारी हुए हैं और अभी तक इन फॉर्म्स की ऑनलाइन यूटिलिटी (सॉफ्टवेयर) भी पूरी तरह उपलब्ध नहीं है। टैक्स एक्सपर्ट्स सलाह दे रहे हैं कि 15 जून 2025 से पहले ITR फाइल करने से बचना चाहिए। आइए विस्तार से जानते हैं कि आखिर इसकी वजह क्या है और जल्दी ITR फाइल करने पर आपको किन समस्याओं का सामना करना पड़ सकता है1

1. TDS सर्टिफिकेट (फॉर्म 16/16A) कब मिलते हैं?

  • इनकम टैक्स नियमों के अनुसार, टैक्सपेयर्स को उनके TDS सर्टिफिकेट (जैसे फॉर्म 16, फॉर्म 16A) अधिकतम 15 जून तक मिल जाते हैं।

  • अगर आपने जनवरी से मार्च 2025 के बीच कोई इनकम कमाई है जिस पर TDS कटा है, तो उस इनकम के लिए TDS रिटर्न फाइल करने की आखिरी तारीख 31 मई 2025 है।

  • आमतौर पर, इनकम देने वाला (जैसे एम्प्लॉयर, बैंक, कंपनी, ग्राहक आदि) TDS रिटर्न फाइल करता है और उसके 3-4 दिन बाद ये डिटेल्स आपके फॉर्म 26AS में दिखने लगती हैं।

  • फॉर्म 16 (सैलरी के लिए) और फॉर्म 16A (अन्य इनकम के लिए) 15 जून तक जारी किए जाते हैं। इन सर्टिफिकेट्स में आपकी इनकम और उस पर कटा टैक्स साफ-साफ दिखता है1

2. ITR फाइलिंग में TDS सर्टिफिकेट्स क्यों जरूरी हैं?

  • टेक्नोलॉजी की वजह से अब TDS सर्टिफिकेट्स की जानकारी ITR फॉर्म्स में ऑटो-पॉप्युलेट हो जाती है।

  • टैक्सपेयर्स इन सर्टिफिकेट्स, ITR फॉर्म और एनुअल इनफॉर्मेशन स्टेटमेंट (AIS) की जानकारी को क्रॉस-चेक कर सकते हैं, जिससे गलत जानकारी देने की संभावना कम हो जाती है1

3. SFT रिपोर्टिंग और AIS अपडेट कब होते हैं?

  • पिछले कुछ सालों में टैक्स कानूनों के अनुसार, जहां TDS नहीं भी कटा हो, वहां भी बैंक, कंपनियां, म्यूचुअल फंड्स आदि को कुछ वित्तीय लेन-देन (जैसे कैश ट्रांजेक्शन, फिक्स्ड डिपॉजिट, क्रेडिट कार्ड पेमेंट, बॉन्ड/डिबेंचर खरीद, शेयर निवेश आदि) की जानकारी इनकम टैक्स विभाग को देनी होती है। इसे Specified Financial Transactions (SFT) कहते हैं।

  • SFT की रिपोर्टिंग की आखिरी तारीख 31 मई है। इसके बाद 5-10 दिनों में ये डाटा प्रोसेस होकर टैक्सपेयर्स के AIS (Annual Information Statement) में दिखने लगता है।

  • आमतौर पर, जून के दूसरे हफ्ते तक फाइनल AIS पोर्टल पर उपलब्ध हो जाता है1

4. जल्दी ITR फाइल करने पर क्या समस्याएं हो सकती हैं?

a. अधूरी या गलत जानकारी

  • अगर आप 15 जून से पहले ITR फाइल करते हैं और आपके पास फॉर्म 26AS, फॉर्म 16/16A, AIS की पूरी जानकारी नहीं है, तो इनकम या TDS की डिटेल मिस हो सकती है।

  • इससे आपको रिवाइज्ड रिटर्न फाइल करना पड़ सकता है, जो 31 दिसंबर तक किया जा सकता है, लेकिन इससे प्रक्रिया लंबी और जटिल हो जाती है1

b. TDS क्रेडिट में गड़बड़ी

  • अगर TDS आपके फॉर्म 26AS में नहीं दिख रहा है, तो आपको उसका क्रेडिट नहीं मिलेगा। इससे रिफंड में देरी या टैक्स डिमांड आ सकती है।

  • बाद में सुधार या रिवाइज्ड रिटर्न से मामला सुलझ सकता है, लेकिन इससे समय और मेहनत दोनों बढ़ जाते हैं1

c. टेक्निकल गड़बड़ियां

  • ITR यूटिलिटी के शुरुआती वर्जन में अक्सर तकनीकी गड़बड़ियां (जैसे कैलकुलेशन एरर, सिस्टम फेलियर या डेटा वेलिडेशन इश्यू) हो सकते हैं।

  • कुछ दिन इंतजार करने से सिस्टम स्टेबल हो जाता है और फाइलिंग स्मूथ रहती है1

d. टैक्स नोटिस और स्क्रूटनी का खतरा

  • अगर AIS, फॉर्म 26AS या TDS की जानकारी में मिसमैच हो गया, तो टैक्स नोटिस, स्क्रूटनी, रिफंड में देरी या सही TDS क्रेडिट न मिलने जैसी समस्याएं आ सकती हैं1

5. किन्हें जल्दी ITR फाइल करना चाहिए?

  • अगर आपको लोन अप्रूवल, वीजा या किसी इमरजेंसी के लिए ITR की जरूरत है, तभी जल्दी फाइलिंग करें।

  • वरना, 15 जून के बाद ही ITR फाइल करना समझदारी है ताकि सारी जानकारी सही-सही मिल जाए और भविष्य में कोई दिक्कत न हो1

6. सही समय पर ITR फाइलिंग के फायदे

  • पूरी और सही जानकारी के साथ रिटर्न फाइल करने पर रिफंड जल्दी मिलता है और टैक्स नोटिस या स्क्रूटनी का खतरा कम हो जाता है।

  • रिवाइज्ड रिटर्न या करेक्शन की जरूरत नहीं पड़ती।

  • टैक्सपेयर्स का समय और मेहनत दोनों बचते हैं।

7. निष्कर्ष: धैर्य रखें, सही समय पर फाइल करें

आयकर कानून आपको जल्दी ITR फाइल करने से नहीं रोकता, लेकिन ज्यादातर सैलरीड और छोटे टैक्सपेयर्स के लिए 15 जून के बाद फाइलिंग करना ज्यादा सुरक्षित है। इससे आपकी टैक्स क्रेडिट डिटेल्स पूरी और रीकंसाइल्ड रहती हैं और भविष्य की परेशानियों से बचाव होता है।

"टैक्स कंप्लायंस में स्पीड से ज्यादा वैल्यू एक्युरेसी की है। कुछ दिन का इंतजार आपको भविष्य की जटिलताओं, रिफंड में देरी और गलत फाइलिंग सेबचा सकता है।
— चार्टर्ड अकाउंटेंट प्रकाश हेगड़े
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अक्सर पूछे जाने वाले सवाल (FAQs)

Q1. क्या 15 जून से पहले ITR फाइल करना गैरकानूनी है?
नहीं, लेकिन इससे गलत जानकारी या मिसिंग डिटेल्स की संभावना बढ़ जाती है।

Q2. फॉर्म 16 और फॉर्म 26AS में क्या फर्क है?
फॉर्म 16 सैलरी पर TDS का सर्टिफिकेट है, जबकि फॉर्म 26AS में आपकी सभी इनकम और उस पर कटा टैक्स दिखता है।

Q3. जल्दी फाइलिंग से क्या नुकसान हो सकता है?
गलत इनकम या TDS डिटेल्स, टैक्स नोटिस, रिफंड में देरी, रिवाइज्ड रिटर्न की जरूरत आदि।

सारांश

15 जून 2025 से पहले ITR फाइल करने से बचें। पहले अपनी सारी टैक्स डिटेल्स, TDS सर्टिफिकेट्स, AIS और SFT की जानकारी कलेक्ट करें, क्रॉस-चेक करें और फिर सही-सही ITR फाइल करें। इससे आप टैक्स नोटिस, स्क्रूटनी, रिफंड में देरी और रिवाइज्ड रिटर्न जैसी परेशानियों से बच सकते हैं