पापी क्यों मौज करता है और धर्म से चलने वाला क्यों कई बार ठोकर खाता है ?
महाराज जी ने बताई एक सच्ची। यह कहानी सुनकर आपको भी पता लग जाएगा कि क्यों आपको अच्छे काम करने के बावजूद परेशानी झेलनी पड़ रही है।
SPRITUALITY


महाराज जी से अक्सर यह सवाल पूछा जाता है कि महाराज जी हम तो काफी भजन कर रहे हैं और दान पुण्य भी करते हैं लेकिन इसके बावजूद हमारा अमंगल क्यों हो रहा है। हमारे काम क्यों नहीं बन पा रहे।
महाराज जी इस सवाल के जवाब में एक कहानी सुनाते हैं
वह कहते हैं कि दो मित्र थे जिसमें से एक काफी भगवान का भजन करता था और दूसरा पापाचरण करता था।
एक बार पावन गंगा नदी में भगवान का भजन करने वाला मित्र स्नान कर रहा था। वह स्नान करके लौट रहा था तो उसके पैर में कनखजूरे का कांटा लग गया। सामने से उसका मित्र आ रहा था तो उसने हंसते हुए बोला देख तू बहुत गंगा स्नान करता है और भजन करता है देख तुझे कांटे सहने पड़ रहे हैं और मुझे देख कैसे मैं बूट सूट पहन के मौज कर रहा हूं। यह बात कह कर जैसे ही वह आगे बढ़ा तो उसे सोने के सिक्कों से भरी थैली मिल गई।
वह थैली हाथ में लेकर फिर अपने मित्र को चिड़ाने लगा।
बोला देख मेरी किस्मत कितनी अच्छी है और तुझे काटे सहने पड़ रहे हैं और मुझे सोने के सिक्के मिल रहे हैं यह देखकर उसका मित्र बहुत परेशान हो गया और उसका भगवान से विश्वास उठने लगा।
इतने में ही सामने से एक ब्राह्मण यह सब दृश्य देख रहे थे। उन्होंने उसके पैर से कांटा निकाल और कहा बेटा तुम्हारे मन में कुछ शंका है। इस पर भजन करने वाले मित्र ने ब्राह्मण को बताया कि मैं इतना भगवान का भजन करता हूं दान पुण्य करता हूं।
गंगा स्नान करता हूं पर मुझे दो वक्त की रोटी की व्यवस्था भी करने में परेशानी हो रही है और मैं अपने परिवार का भरण पोषण ठीक से नहीं कर पा रहा हूं जबकि मेरा मित्र पूरा दिन पापा चरण करता है इसके बावजूद वह मजे से रह रहा है।
इस पर ब्राह्मण ने उन्हें कहा कि बेटा दरअसल सच्चाई यह है कि तुमने पूर्व जन्म में कुछ पाप किए थे, जिसको तुम्हें अब भोगना पड़ रहा है।
ब्राह्मण ने बताया कि तुमने इतने ज्यादा पाप करे थे कि तुम्हें इस जन्म में सूली से लटकाने का दंड मिलना था लेकिन तुम इस जन्म में इतना ज्यादा भजन कर रहे हो इसलिए तुम्हारा सूली के दंड महज एक कांटे के चुभने में बदल गया है जबकि तुम्हारा पापा चरण करने वाले मित्र ने पिछले जन्म में कई बड़े पुण्य किए थे और उसके परिणाम स्वरूप उसे इस जन्म में इस इलाके का राजा बनना था लेकिन उसने इस जन्म में इतने पाप किए हैं कि उसे राजा बनने की जगह सिर्फ कुछ सोने के सिक्कों की थैली का इनाम मिल गया। अब तुम्हारे उसे मित्र के पूर्व जन्म के पाप और इस जन्म के पाप मिलकर ऐसी परेशानी खड़ी कर देंगे की उसका जीना मुश्किल हो जाएगा जबकि तुम्हारे पुराने पाप अब खत्म हो रहे हैं और अब तुम्हारे इस जन्म में किए गए दान पुण्य और भजन की वजह से अब तुम्हारा अच्छा समय आने वाला है इसलिए कई बार तुम्हें ऐसा महसूस हो सकता है कि तुम धर्म कर्म से चल रहे हो लेकिन तुम्हें उसका अच्छा परिणाम नहीं मिल रहा तो भगवान पर अश्रद्धा नहीं करना क्योंकि पूर्व जन्म में कर्मों का फल हमें मिलता ही है। हां अगर हम इस जन्म में अच्छे कर्म कर रहे हैं तो पूर्व जन्म के किए हुए गंदे कर्मों का दंड कम जरूर हो सकता है।
जय श्री राधा जय श्री कृष्ण 🙏🙏